यूपीआई ट्रांजैक्शन पर चार्ज लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं : आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा

New Delhi, 1 अक्टूबर . भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने Wednesday को दोहराया कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से होने वाले ट्रांजैक्शन पर शुल्क लगाने का फिलहाल केंद्रीय बैंक का कोई प्रस्ताव नहीं है.

आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद अपने संबोधन में यूपीआई ट्रांजैक्शन को लेकर स्पष्टीकरण दिया.

आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ​​ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि यूपीआई हमेशा मुफ्त रहेगा, लेकिन उन्होंने कहा था कि यूपीआई के कामकाज से जुड़े खर्चों को किसी को तो वहन करने की जरूरत होगी.

आरबीआई गवर्नर ने कहा, “मैंने कहा था कि यूपीआई ट्रांजैक्शन से जुड़े कुछ खर्च होते हैं और उन्हें किसी न किसी को वहन करना होगा.”

उन्होंने पिछली नीतिगत बैठकों के बाद भी यूपीआई ट्रांजैक्शन को लेकर स्पष्टीकरण दिया था.

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के लेटेस्ट डेटा के अनुसार, बीते महीने सितंबर में यूपीआई ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़कर 19.63 बिलियन हो गई, जिसमें सालाना आधार पर 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

ट्रांजैक्शन अमाउंट की बात करें तो यह बीते महीने सितंबर में 21 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ बढ़कर 24.90 लाख करोड़ हो गया. मासिक आधार पर भी ट्रांजैक्शन अमाउंट को लेकर वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि अगस्त में 24.85 लाख करोड़ रुपए दर्ज की गई थी.

एनपीसीआई के डेटा के अनुसार, एवरेज डेली ट्रांजैक्शन काउंट 654 मिलियन और एवरेज डेली ट्रांजैक्शन अमाउंट 82,991 करोड़ रुपए हो गया है. इससे पहले बीते महीने अगस्त में एवरेज डेली ट्रांजैक्शन काउंट 645 मिलियन और एवरेज डेली ट्रांजैक्शन अमाउंट 80,177 करोड़ रुपए दर्ज किया गया था.

अगस्त में यूपीआई ट्रांजैक्शन पहली बार 20 बिलियन के पार हो गए थे. इससे पहले 2 अगस्त को यूपीआई ने एक दिन में 700 मिलियन ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड बनाया था.

इस बीच, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने और न्यूट्रल नीतिगत रुख बनाए रखने का फैसला किया है.

न्यूट्रल रुख से वृद्धि को नुकसान पहुंचाए बिना मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के बीच एक संतुलन बनता है, इसलिए इसमें न तो प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है और न ही तरलता पर कोई प्रतिबंध लगता है.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य कीमतों में भारी गिरावट और GST रेट में कटौती से मुद्रास्फीति का अनुमान बेहतर हुआ है. इसके परिणामस्वरूप, आरबीआई ने 2025-2026 के लिए औसत मुद्रास्फीति दर के अपने अनुमान को 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है.

एसकेटी/