संयुक्त राष्ट्र राहत प्रमुख ने अमेरिका के गाजा शांति प्रस्ताव का स्वागत किया

संयुक्त राष्ट्र, 1 अक्टूबर . संयुक्त राष्ट्र के राहत प्रमुख टॉम फ्लेचर ने हाल ही में अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप के गाजा शांति प्रस्ताव का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव से बड़ी मात्रा में जरूरी जीवन रक्षक सहायता पहुंचाने के नए रास्ते खुल सकते हैं.

मानवीय मामलों के अवर महासचिव और आपातकालीन राहत समन्वयक टॉम फ्लेचर ने कहा, “हम शांति के इस मौके का फायदा उठाने के लिए व्यावहारिक और सिद्धांतों के आधार पर काम करने को तैयार और इच्छुक हैं.”

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की टीमें, संसाधन, ज़रूरी सामान और विशेषज्ञ पहले से मौजूद हैं और वे तेज़ और प्रभावी ढंग से काम करने के लिए तैयार हैं, जैसा कि मार्च के मध्य में युद्धविराम के दौरान किया गया था. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, जैसा कि बार-बार कहा गया है, गाजा में सभी तरह की हिंसा रोकना, सामान्य स्थिति बहाल करना और मानवीय सहायता पहुंचाने का रास्ता साफ करना बहुत ज़रूरी है.

फ्लेचर ने कहा कि जरूरी सामानों की गाज़ा में आवाजाही और अंतरराष्ट्रीय गैर-Governmentी संगठनों के काम पर लगे प्रतिबंधों को हटाना अभी भी एक बड़ी ज़रूरत है. इन प्रतिबंधों को हटाने से मानवीय सहायता से जुड़ी टीमें समुदायों के लिए जरूरी सेवाएं फिर से शुरू कर सकेंगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति मदद से वंचित न रह जाए.

उन्होंने कहा कि यह भी जरूरी है कि निजी कंपनियां बड़े स्तर पर काम करने में सक्षम हों. उनका कहना था कि केवल मानवीय सहायता से गाज़ा की सभी जरूरतें पूरी नहीं की जा सकतीं.

फ्लेचर ने कहा कि यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि ये स्थिति बनी रहे, साथ ही पर्याप्त और भरोसेमंद वित्तपोषण मिले ताकि नष्ट हुई सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की मरम्मत हो सके.

संयुक्त राष्ट्र के मानव मदद विभाग के प्रमुख फ्लेचर ने बताया कि गाज़ा पट्टी का पूरा इलाका, खासकर गाज़ा शहर, इज़रायली बमबारी से बहुत ज्यादा नुकसान झेल रहा है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि Wednesday से Sunday तक डेर अल-बलाह के उत्तर-पश्चिमी इलाके में इजरायली हमले बढ़ गए. इन हमलों में कम से कम 89 फिलिस्तीनी जान गंवा चुके हैं.

ओसीएचए ने बताया कि गाजा के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि अगस्त में अकाल की पुष्टि के बाद से 35 बच्चे और कुल 175 लोग भूख और खराब पोषण की वजह से मर गए हैं.

एसएचके/एएस