आइजॉल, 30 सितंबर . मिजोरम में बांस के फूलने से उपजा कृंतकों का भयानक प्रकोप राज्य को फिर से तबाही की ओर धकेल रहा है. स्थानीय भाषा में ‘थिंगटम’ कहे जाने वाले इस प्राकृतिक संकट ने कृषि अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है.
1977 में पिछली बार बांस (बांसबूसा तुलदा) के बड़े पैमाने पर फूलने से चूहों की संख्या में विस्फोट हुआ था, जिसने भुखमरी और फसल विनाश का दंश झेला था. अब 48 वर्ष बाद वही चक्र लौट आया है, और 29 सितंबर तक 138 गांवों में 6,859 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हो चुकी है. इनमें से 1,620 हेक्टेयर पूरी तरह चूहों की भेंट चढ़ गई, जिससे 4,025 परिवार बेघर और भुखमरी के कगार पर हैं.
राज्य की मुख्य फसल धान सबसे ज्यादा शिकार बनी है, उसके बाद मक्का, गन्ना, अदरक, बैंगन, मिर्च, कद्दू, तिल और खीरा जैसी सब्जियां. खावजावल जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 250 हेक्टेयर से अधिक भूमि बर्बाद हो चुकी है. जिला प्रशासन ने बताया कि चूहे रातोंरात खेतों को चट कर जाते हैं, जिससे किसान हताश हैं. एक किसान ने कहा, “हमारी मेहनत रात भर में बर्बाद हो जाती है. Government की मदद जरूरी है.”
कृषि विभाग के निदेशक एच. लालनुनजिरा ने कहा, “बड़े पैमाने पर चारा डालने का अभियान चल रहा है, और स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है. फिलहाल घबराने की कोई जरूरत नहीं, लेकिन सतर्क रहें.”
विभाग ने सभी जिलों में ब्रोमैडियोलोन और जिंक फॉस्फाइड जैसे कृंतकनाशकों का भंडार जमा किया था, जिन्हें जिला कृषि अधिकारियों (डीएओ) के जरिए वितरित किया जा रहा है. किसानों को पारंपरिक तरीकों से, वैथांग, मंगख्वांग और थांग चेप जैसे जालों के साथ गुलेल का इस्तेमाल, भी लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसका मकसद रासायनिक दवाओं को पूरक बनाना और बैट शायनेस को रोकना है, जहां चूहे एक ही चारे पर प्रतिक्रिया देना बंद कर देते हैं.
ग्राम परिषदों (वीसी) को बड़े स्तर पर जहर बिछाने के अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं. निगरानी टीमों ने क्षेत्र सत्यापन तेज कर दिया है, और किसानों से अपील की गई है कि फसल क्षति की समय पर सूचना दें. राज्य Government ने केंद्रीय सहायता के लिए प्रस्ताव भेजा है, जिसमें क्षतिपूर्ति और बीज वितरण शामिल है.
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एससीएच