लद्दाख हिंसा: सरकार ने एबीएल और केडीए के साथ बातचीत के लिए अपनाया खुला रुख

New Delhi, 29 सितंबर . केंद्र Government ने लद्दाख के मामलों पर एपेक्स बॉडी लेह (एबीएल) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ किसी भी समय बातचीत के लिए हमेशा खुला रुख अपनाया है. हम लद्दाख पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) या किसी अन्य मंच के माध्यम से एबीएल और केडीए के साथ चर्चा का स्वागत करना जारी रखेंगे. गृह मंत्रालय की ओर से यह बयान जारी किया गया है.

लद्दाख पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के माध्यम से एपेक्स बॉडी लेह (एबीएल) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ स्थापित बातचीत तंत्र ने अब तक लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के लिए बढ़ा हुआ आरक्षण, एलएएचडीसी में महिलाओं को आरक्षण और स्थानीय भाषाओं का संरक्षण जैसे अच्छे परिणाम दिए हैं. केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 1800 Governmentी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है.

हमें विश्वास है कि निरंतर बातचीत निकट भविष्य में वांछित परिणाम देगी.

बता दें कि लद्दाख में लेह हिंसा और सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद हालात कंट्रोल में हैं. कड़ी सुरक्षा के बीच हिंसा में मारे गए चार में से दो युवकों का दोपहर में अंतिम संस्कार किया गया.

इससे पहले लद्दाख के डीजीपी एसडी सिंह जामवाल ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर बयान जारी करते हुए कहा था कि यह कोई अचानक हुई घटना नहीं थी. उन्होंने बताया कि वांगचुक 10 सितंबर से अपने आंदोलन की शुरुआत के बाद से ही लोगों को उकसाने का काम कर रहे थे.

डीजीपी एसडी सिंह जामवाल ने से बातचीत में कहा था कि उनके (सोनम वांगचुक) भाषणों में एक पैटर्न दिखाई देता है. वे लोगों को भड़काने और युवाओं को उकसाने वाले बयान दे रहे थे.

उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल साफ है कि यह कोई अचानक हुई घटना नहीं थी. वह इसे भड़का रहे थे. वह हंगामा खड़ा करना चाहते थे और 10 सितंबर से जब उन्होंने अपना आंदोलन शुरू किया था और 24 सितंबर तक, उनके भाषणों में एक पैटर्न देखा जा सकता है. वह लोगों को भड़का रहे थे और उसी मंच पर कुछ अन्य लोग भी युवाओं को भड़काने वाले भाषण दे रहे थे. इसके परिणामस्वरूप 24 सितंबर को हिंसक घटनाएं हुईं.”

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