भारत के खिलाफ आईएसआई की साजिश, तुर्किए और बांग्लादेश को करीब लाने की कोशिश की जा रही

New Delhi, 29 सितंबर . शेख हसीना की Government गिरने के बाद से बांग्लादेश अराजकता की चपेट में आ चुका है. देश में जारी उथल-पुथल के बीच युनूस की अंतरिम Government तुर्किए के साथ अपनी दोस्ती बढ़ाने की कोशिश में लगी हुई है. तुर्किए ने दक्षिण एशियाई मुस्लिम समुदाय को आकर्षित करने के इरादे से, आईएसआई और Pakistan के इशारे पर बांग्लादेश को अपने साथ जोड़ा है.

तुर्किए के साथ नजदीकियां बढ़ाने के लिए जमात-ए-इस्लामी आईएसआई के इशारे पर मुहम्मद यूनुस की अंतरिम Government को उकसाने की कोशिश कर रहा है. तुर्किए और बांग्लादेश को करीब लाने के पीछे आईएसआई का खतरनाक मकसद छिपा है. आईएसआई चाहता है कि तुर्किए से बांग्लादेश में धन, हथियार और गोला-बारूद सप्लाई हो.

वहीं, भारतीय एजेंसियों का कहना है कि बांग्लादेश तुर्किए के हथियारों का चौथा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है. भारतीय एजेंसी का मानना है कि तुर्किए से आ रहे इन हथियारों का इस्तेमाल India के खिलाफ किया जाएगा, जो कि चिंता का विषय है. बांग्लादेश और तुर्किए को करीब लाने के पीछे आईएसआई की यहीं मंशा है. हालांकि, India के पास इस तरह के आक्रमण को विफल करने की पूरी क्षमता है, लेकिन इससे सशस्त्र बलों को एक अवांछित समस्या से निPatna होगा.

बता दें, शेख हसीना की Government के कार्यकाल में India और बांग्लादेश के बीच काफी मजबूत संबंध थे. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच की सीमा काफी हद तक सुरक्षित थी और दोनों पक्षों की सेनाएं बिना किसी रुकावट के काम कर रही थीं.

तख्तापलट के बाद मोहम्मद युनूस की Government जब से आई है, India और बांग्लादेश के बीच कड़वाहट देखने को मिली है. युनूस Government इसका कारण शेख हसीना को India में शरण देना बता रही है. आईएसआई बांग्लादेश में अपना दबदबा बनाए हुए है ताकि वह युनूस को नियंत्रित कर सके.

हालांकि, बांग्लादेश में आईएसआई की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए भारतीय एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं, लेकिन फिर भी तुर्किए के साथ नजदीकी ने चिंता बढ़ा दी है.

बता दें, तुर्किए हमेशा से Pakistan का समर्थक रहा है और कई मौकों पर उसने रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर बांग्लादेश का समर्थन भी किया है. दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्ते का ताजा उदाहरण तब देखने को मिला, जब रक्षा उद्योग एजेंसी के अध्यक्ष हलुक गोरगुन के नेतृत्व में एक तुर्किए प्रतिनिधिमंडल ने यूनुस और बांग्लादेशी सशस्त्र बलों के अन्य प्रमुखों से मुलाकात की. दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग और उपकरणों की खरीद पर चर्चा की, जिसमें बेराकटार टीबी-2 ड्रोन, टीआरजी-300 रॉकेट सिस्टम, तोपखाने के गोले, पैदल सेना की राइफलें और मशीन गन शामिल थे.

इसके अलावा, तुर्किए ने यह भी आश्वासन दिया कि वह नारायणगंज और चटगांव में दो रक्षा परिसर बनाएगा. इन घटनाक्रमों से बांग्लादेश में आतंकवादी संगठनों को काफ़ी बढ़ावा मिला है. Pakistan द्वारा पहलगाम हमले को अंजाम देने के बावजूद, तुर्की ने हमेशा इस्लामाबाद का समर्थन किया है. जब भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, तब तुर्की ने खुले तौर पर Pakistan का समर्थन किया था.

बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों को लगता है कि अगर वे India को आतंकी हमले के लिए उकसाएंगे, तो भी उन्हें तुर्किए का समर्थन हमेशा मिलेगा. ये घटनाएं हाल के महीनों में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम, जमात-उल-मुजाहिदीन और हरकत-उल-जिहाद-इस्लामी बांग्लादेश जैसे आतंकी संगठनों के उग्र होने की पृष्ठभूमि में भी सामने आई हैं. हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद इन संगठनों के कई नेताओं को जघन्य अपराध करने के बावजूद जेल से रिहा कर दिया गया.

भारतीय एजेंसियों का कहना है कि यह स्पष्ट है कि प्रतिबंधित आतंकी समूहों के नेताओं को रिहा करने के ये फैसले यूनुस ने जमात के इशारे पर ही लिए थे. जमात ने हमेशा India के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दिया है और India के लिए समस्याएं पैदा करने के लिए आईएसआई के साथ मिलकर काम किया.

मुक्ति संग्राम के बाद, जमात और आईएसआई दोनों ने बड़े पैमाने पर अवैध आव्रजन की योजना बनाई थी, जिसका उद्देश्य जनसांख्यिकीय परिवर्तन करना था जिससे India में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो.

खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि बांग्लादेश, तुर्किए और Pakistan का यह नया गठबंधन चिंताजनक संकेत है. इन रक्षा समझौतों को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए, क्योंकि इनके गलत हाथों में जाने की पूरी संभावना है.

हालांकि बांग्लादेशी सेना को भारतीय सशस्त्र बलों से लड़ने में अपनी सीमाओं का एहसास है, लेकिन समस्या यह है कि आईएसआई ही सब कुछ तय करती है. जमात की मदद से यह Pakistanी खुफिया एजेंसी कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों को India में हमले करने के लिए प्रोत्साहित करती है. उन्हें लगता है कि अगर India अपनी धरती पर किसी भी हमले का जवाब देता है, तो तुर्किए उसका साथ देगा.

कनक/एएस