पाकिस्तान के जहरीले भाषण और ‘आतंकवादी देश’ कबूलनामे पर भारत का यूएनजीए से वॉकआउट

संयुक्त राष्ट्र, 28 सितंबर . India ने यूएन जनरल असेंबली से वॉकआउट किया, क्योंकि Pakistan ने India के खिलाफ जहर उगला और साथ ही यह भी स्वीकार किया कि वह ‘आतंकवाद का गढ़’ है. Saturday को उसने यह भी स्वीकार किया कि वह वैश्विक आतंकवाद का केंद्र था.

आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जनरल असेंबली से अपील करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि India को आजादी के बाद से ही यह चुनौती झेलनी पड़ी है, क्योंकि उसका पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र रहा है.

उन्होंने Pakistan का नाम नहीं लिया, लेकिन यह एक जाल था और Pakistan उसमें फंस गया.

यूएन मिशन में दूसरे सेक्रेटरी मोहम्मद राशिद ने जयशंकर के भाषण पर जवाब देते हुए कहा कि यह Pakistan की छवि खराब करने की कोशिश थी.

इस पर India ने तुरंत पलटवार करते हुए उसे उसके अपने ही बयानों के जाल में फंसा दिया.

India के संयुक्त राष्ट्र मिशन में दूसरे सचिव रेंटला श्रीनिवास ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि जिस पड़ोसी देश का नाम नहीं लिया गया, उसने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और सीमा पार आतंकवाद की अपनी पुरानी नीति को स्वीकार किया.”

उन्होंने कहा कि Pakistan की छवि सबके सामने है. आतंकवाद के निशान इतने साफ हैं कि यह कई देशों में दिखता है. यह न सिर्फ पड़ोसियों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है.

उन्होंने आगे कहा कि कोई तर्क या झूठ ‘आतंकिस्तान’ के अपराधों को छिपा नहीं सकता.

राशिद गुस्से में लौटा और स्वीकार किया कि Pakistan टेररिस्तान है.

‘टेररिस्तान’ शब्द के इस्तेमाल का विरोध करते हुए, राशिद ने कहा कि India एक देश के नाम को, जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है, विकृत कर रहा है.

राशिद के बोलते समय India ने सभा कक्ष से वॉकआउट कर दिया.

संयुक्त राष्ट्र में यह आम बात है कि देश तब तक जवाब देने का अधिकार नहीं इस्तेमाल करते, जब तक उनका नाम स्पष्ट रूप से न लिया जाए, भले ही उनके बारे में इशारों या सूक्ष्म संकेतों से बात की जाए.

सार्वजनिक रूप से गुस्से में प्रतिक्रिया देना यह स्वीकार करने जैसा है कि उनके खिलाफ ही कोई आरोप या अप्रिय टिप्पणी की गई थी.

अपने भाषण में जयशंकर ने कहा कि दशकों से बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हमलों का संबंध एक ही देश से जोड़ा जाता है. संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में उस देश के नागरिकों के नाम भरे पड़े हैं.

उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि हाल ही में अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या सीमा पार बर्बरता का उदाहरण है.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम लिए बिना उसका बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि India ने अपने लोगों को आतंकवाद से बचाने का अधिकार इस्तेमाल किया और इसके आयोजकों व अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया. आतंकवाद एक साझा खतरा है, इसलिए इसके खिलाफ गहरे अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है.”

उन्होंने कहा कि जब देश खुले तौर पर आतंकवाद को अपनी नीति घोषित करते हैं, जब आतंक के अड्डे बड़े पैमाने पर काम करते हैं, जब आतंकियों का सार्वजनिक रूप से महिमामंडन होता है, तो ऐसी हरकतों की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए.

उन्होंने चेतावनी दी कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों का समर्थन करते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि यह उनके लिए भी खतरनाक साबित होगा.

पीएसके/एबीएम