New Delhi, 26 सितंबर . रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी ने Friday को सीडीएस जनरल अनिल चौहान के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर चीन के खिलाफ युद्ध में हमने वायुसेना का इस्तेमाल किया होता तो निश्चित तौर पर हम चीन की तरफ से किए जा रहे हमलों को कुंद कर पाते.
प्रफुल्ल बख्शी ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि इस बात को बिल्कुल भी खारिज नहीं किया जा सकता. जनरल अनिल चौहान ने जो भी कहा है, बिल्कुल ठीक कहा है. यह बात हमने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध देखी थी कि वायुसेना की सामरिक शक्ति कितनी मजबूत होती है. अगर वायुसेना का सही इस्तेमाल किया जाता तो निश्चित तौर पर चीन की कमर तोड़ी जा सकती थी, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि अगर युद्ध के दौरान आपने सेना का इस्तेमाल किया, लेकिन वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया तो ऐसी स्थिति में निश्चित तौर पर हार का मुंह देखना होगा. वायुसेना आपको जीत दिलाती है.
युद्ध में वायुसेना का योगदान अहम होता है. 1962 में वायुसेना का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया, क्योंकि हमने युद्ध को लेकर कभी चिंतन नहीं किया था. India में कभी सेना को समझा नहीं गया. तत्कालीन Prime Minister ने कभी सेना को समझने की कोशिश नहीं की. उन्होंने सेना को कभी अहमियत नहीं दी.
प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि चीन से युद्ध को लेकर तत्कालीन Prime Minister को चेताया गया तो उन्होंने कहा था कि हमें चीन से कोई खतरा नहीं है. वो तो हमारा दोस्त है. फौज को किसकी जरूरत है. हम तो Police से भी काम चला लेंगे. अब बात आती है एयरफोर्स की. अमेरिका ने India को चेता दिया कि अगर आप अपनी वायुसेना का इस्तेमाल करेंगे तो चीन आपके कई राज्यों पर बम डाल देगा. ऐसी स्थिति आप कहीं के नहीं रहेंगे. पंडित नेहरू उस वक्त घबरा गए.
उन्होंने कहा कि अगर आर्मी तैयार होती तो आज ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं होती. इतना ही नहीं, कारगिल में भी आपने देरी कर दी थी. अगर आपने कारगिल में भी सही समय पर सही तैयारी की होती तो आज हमें इतना नुकसान नहीं झेलना पड़ता, जितना की उस वक्त हमें झेलना पड़ गया था. यही नहीं, India के कई लड़ाइयां बिना किसी विशेष डोक्ट्रिन के लड़ी थी. ये डोक्ट्रिन हमें बताती है कि किस स्थिति में हमें कैसे काम करना है.
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एसएचके/वीसी