यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025: संभल के लकड़ी पर स्टोन क्राफ्ट को मिली पहचान, कई देशों में बढ़ी मांग

ग्रेटर नोएडा, 26 सितंबर . उत्तर प्रदेश के संभल जिले की गलियों से निकली लकड़ी पर स्टोन क्राफ्ट की अनोखी कला ने अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना ली है.

आम और शीशम की मजबूत लकड़ियों पर प्राकृतिक पत्थरों और रंगों से सजाकर बनाई जाने वाली यह कला अब सिर्फ देश तक सीमित नहीं रही, बल्कि ओमान, Dubai , यूरोप और अमेरिका समेत 10 देशों में इसकी मांग बढ़ गई है. संभल के कारीगर लकड़ी को इस तरह तराशते और सजाते हैं कि देखने वालों को लगता है मानो पत्थर को ही नक्काशी कर सजाया गया हो.

दरअसल, यह काम बेहद बारीकी से किया जाता है और एक डिजाइन तैयार करने में लगभग 15 दिन का समय लगता है. छोटी कलाकृतियां हालांकि 1 से 2 दिन में बन जाती हैं. खास बात यह है कि इन कलाकृतियों को जीआई टैग भी मिल चुका है, जिससे इस पारंपरिक कला की प्रामाणिकता और गौरव और बढ़ गया है.

इस कला को संभल में जीवित रखने का श्रेय विकास जैसे कलाकारों को जाता है. विकास बताते हैं कि दो साल पहले उन्होंने यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में पहली बार भाग लिया था. उस समय उनके साथ सिर्फ दो लोग काम करते थे और उनका कारोबार मात्र दो देशों तक सीमित था. लेकिन आज 28 से अधिक लोग इस कला से जुड़े हैं और उनके साथ मिलकर डिजाइनों की नई-नई कलाकृतियां तैयार कर रहे हैं. इस समय उनका उत्पाद 10 देशों तक निर्यात हो रहा है और उन्हें ढेरों ऑर्डर मिल रहे हैं.

विकास ने कहा कि पहले ट्रेड शो में उनका स्टॉल महज 9 मीटर का था और 20 ग्राहक जुड़े थे, लेकिन अब उनका स्टॉल 36 मीटर का हो गया है और करीब 150 ग्राहक उनसे जुड़े हैं. उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि इस मंच ने न केवल उनके हुनर को पहचान दी बल्कि संभल की इस अद्वितीय कला को भी विश्व पटल पर स्थापित कर दिया. आज जब पूरी दुनिया कैनवास और पेंटिंग में कला तलाश रही है, तब संभल के कारीगर लकड़ी और स्टोन पर अपनी रचनात्मकता से इतिहास रच रहे हैं.

यह कला न सिर्फ खूबसूरती का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि मेहनत, धैर्य और परंपरा का संगम भी है. संभल का लकड़ी पर स्टोन क्राफ्ट अब सचमुच दुनिया की नज़रों में है और कारीगरों की मेहनत को अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल रहा है.

पीकेटी/डीएससी