New Delhi, 26 सितंबर . इस फेस्टिव सीजन में उपभोक्ता मांग में जबरदस्त उछाल दर्ज की गई है. एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, नवरात्रि के पहले दो दिनों में बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 23 से 25 प्रतिशत तक की बढ़त रिकॉर्ड की गई है.
मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, GST से कीमतों में कमी और मजबूत फेस्टिव माहौल के कारण यह हाल के वर्षों में सबसे अच्छी शुरुआत रही है.
22 सितंबर से लागू नए GST दरों से कई लोकप्रिय उत्पादों की कीमत में कमी आई है.
उदाहरण के लिए, बड़े स्क्रीन वाले टीवी पर GST रेट 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत रह गया है, जिससे रिटेल कीमत में 6 से 8 प्रतिशत की गिरावट आई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे खरीदार प्रीमियम मॉडल की ओर रुख कर रहे हैं. 2,500 रुपए से कम कीमत वाले फैशन आइटम पर अब केवल 5 प्रतिशत GST लग रहा है, जबकि फर्नीचर को भी 5 प्रतिशत स्लैब में रखा गया है, जिससे खरीदारी बढ़ी है.
उद्योग के जानकारों का कहना है कि यह फेस्टिव सीजन पिछले वर्षों से अलग है. अब उपभोक्ता केवल डिस्काउंट पर ध्यान देने के बजाय अपनी पसंद की चीजें खरीद रहे हैं.
टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी खरीदारी बढ़ी है, जो बढ़ती मांग और खर्च के प्रति बढ़ते विश्वास को दर्शाता है.
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर रिकॉर्ड ट्रैफिक रहा. अमेजन ने कहा कि कंपनी की फेस्टिव सेल के पहले दो दिनों में 38 करोड़ से अधिक ग्राहक आए, जो अब तक की सबसे बड़ी शुरुआत है.
रिपोर्ट में कहा गया कि इस ट्रैफिक का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा India के टॉप 9 मेट्रो शहरों के बाहर से रहा.
स्मार्टफोन, घरेलू उपकरण, फैशन और वेलनेस प्रोडक्ट जैसे कैटेगरी में अच्छी बिक्री हुई है.
क्यूएलईडी और मिनी-एलईडी टीवी, एडवांस वॉशिंग मशीन और फ्लैगशिप स्मार्टफोन की मांग में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
छोटे और मध्यम व्यवसाय भी बिक्री से लाभान्वित हुए हैं.
अमेजन के अनुसार, 16,000 से अधिक एसएमबी ने सामान्य दिनों की तुलना में अपनी बिक्री तीन गुना कर दी है और यह मांग गैर-मेट्रो शहरों से बाहर से देखी गई.
रेडसीर ने कहा कि कुछ प्लेटफॉर्म पर मांग इतनी अधिक थी कि शुरुआती डिस्काउंट और फ्लैश डील का लाभ उठाने के लिए बड़ी संख्या में यूजर्स के आने से ऐप स्लो हो गए या क्रैश हो गए.
विशेषज्ञों का मानना है कि GST 2.0 सुधारों और त्योहारों के उत्साह ने India के ई-कॉमर्स मार्केट को कई वर्षों में सबसे अच्छी शुरुआत दी है, जो उपभोक्ता खर्च में नीति-आधारित वृद्धि की ओर एक बड़े बदलाव का संकेत है.
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