शिव की नगरी काशी में नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता का विशेष पूजन, मंदिर में उमड़े श्रद्धालु

वाराणसी, 26 सितंबर . शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा का विधान है. शिव की नगरी वाराणसी में स्कंदमाता का मंदिर जैतपुरा क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध मां बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में है. मान्यता है कि यहां स्कंदमाता और बागेश्वरी माता के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

स्कंदमाता, जो भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजी जाती हैं. यहां भक्त एक साथ मां के गौरी स्वरूप (बागेश्वरी) और दुर्गा स्वरूप (स्कंदमाता) के दर्शन करने आते हैं.

स्कंदमाता ज्ञान और विवेक की देवी हैं. उनके दर्शन से विशेषकर पढ़ाई में कमजोर बच्चों को बुद्धि, यश और सफलता की प्राप्ति होती है. साथ ही, संतान सुख से वंचित लोगों के लिए भी मां के दर्शन शुभ माने जाते हैं.

स्थानीय भक्त सुधा, जो 26 वर्षों से इस मंदिर में आ रही हैं, उन्होंने बताया, “पंचमी के दिन स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है. मैंने देखा है कि कई महिलाएं अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां पर आती हैं और उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं. नवरात्रि में यहां सुबह 11 बजे के बाद भक्तों की भीड़ बढ़ जाएगी.”

मंदिर के महंत गोपाल मिश्र ने बताया, “इस मंदिर का नाम स्कंदमाता मंदिर और मां बागेश्वरी देवी मंदिर है. आज नवरात्रि का पांचवां दिन है. यहां पर स्कंदमाता अपने पुत्र बाल कार्तिकेय को गोद में लेकर विराजमान हैं. उनके साथ मां बागेश्वरी के भी दर्शन किए जाते हैं. यह मंदिर कई साल पुराना है. मां बागेश्वरी का पट वर्ष में केवल एक बार, नवरात्रि के पांचवें दिन खुलता है. मां बागेश्वरी को मां सरस्वती का स्वरूप भी माना जाता है.”

महंत ने आगे बताया कि मां बागेश्वरी और स्कंदमाता के दर्शन का विशेष महत्व है. जो लोग संतान सुख, बोलने, चलने या पढ़ने-लिखने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह दर्शन अत्यंत शुभ है.

एक अन्य भक्त शशि ने कहा, “मां बागेश्वरी के दर्शन युगों-युगों से होते आ रहे हैं. मैं नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखती हूं, लेकिन पंचमी के दिन मां के दर्शन के लिए यहां आना अनिवार्य है. यह मंदिर ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है.”

एनएस/एबीएम