नैनीताल, 23 सितंबर . शहीदों के परिवारों के प्रति Government की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र और उत्तराखंड Government को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने पूरे मामले में जवाब पेश करने का आदेश दिया है.
2015 में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकी अभियान के दौरान शहीद हुए लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी की पत्नी भावना गोस्वामी को Governmentी नौकरी न देने के मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दोनों Governmentों को नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता पंकज गोस्वामी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि शहीद की पत्नी भावना गोस्वामी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके पति के बलिदान के बावजूद केंद्र और राज्य Government ने परिवार के भरण-पोषण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. उन्होंने बताया कि शहीद की बेटी अब 16 वर्ष की हो चुकी है और परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है.
दायर याचिका में मांग की गई है कि शहीद पत्नी को Governmentी नौकरी प्रदान की जाए, जैसा कि नीति के अनुसार होना चाहिए. जस्टिस लोकेंद्र सिंह ने सुनवाई के दौरान मामले की गंभीरता को देखते हुए Governmentों को नोटिस जारी किया और कहा कि शहीदों के परिवारों के साथ ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है.
बता दें कि लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी निवासी थे. वे सेना की स्पेशल फोर्स में तैनात थे और 2015 में कश्मीर घाटी में आतंकवाद निरोधी अभियान के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए. उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया, जो शांति काल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है.
गोस्वामी ने अपने अंतिम 11 दिनों में तीन अलग-अलग अभियानों में लश्कर-ए-तैयबा के 10 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था. अंतिम अभियान हफरूदा के घने जंगल में था, जहां उन्होंने अपने दो साथियों की जान बचाते हुए शहादत दी. President प्रणब मुखर्जी ने 2016 के गणतंत्र दिवस पर उनकी पत्नी भावना को यह सम्मान प्रदान किया था.
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एससीएच