सत्येंद्र जैन के खिलाफ ईडी की बड़ी कार्रवाई, 7.44 करोड़ की संपत्ति कुर्क

New Delhi, 23 सितंबर . Enforcement Directorate (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत दिल्ली के पूर्व मंत्री सतेंद्र कुमार जैन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने उनसे संबंधित कंपनियों की 7.44 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से अटैच की हैं.

ईडी ने यह मनी लॉन्ड्रिंग जांच सीबीआई की उस First Information Report के आधार पर शुरू की थी, जो 24 अगस्त 2017 को दर्ज की गई थी. इसमें आरोप था कि सतेंद्र जैन ने 14 फरवरी 2015 से 31 मई 2017 के बीच मंत्री रहते हुए अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की. सीबीआई ने 3 दिसंबर 2018 को सतेंद्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

जांच में सामने आया कि नोटबंदी के बाद नवंबर 2016 में सतेंद्र जैन के करीबी सहयोगी और बेनामी धारक अंकुश जैन व वैभव जैन ने बैंक ऑफ बड़ौदा, भोगल शाखा में 7.44 करोड़ रुपये नकद आयकर अग्रिम के रूप में जमा किए. यह राशि आय घोषणा योजना (आईडीएस), 2016 के तहत घोषित की गई थी. उन्होंने दावा किया था कि 2011 से 2016 के बीच मिली 16.53 करोड़ रुपये की आय संबंधित चार कंपनियों- अकिनचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इन्फोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और इन्डो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड की है, जबकि ये कंपनियां वास्तव में सतेंद्र जैन के नियंत्रण में थीं.

आयकर विभाग और दिल्ली हाईकोर्ट ने अंकुश और वैभव जैन को सतेंद्र जैन के बेनामी धारक करार दिया. Supreme court ने भी उनकी विशेष अनुमति याचिका और पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं.

इससे पहले ईडी ने 31 मार्च 2022 को सतेंद्र जैन से जुड़ी 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी और 27 जुलाई 2022 को अभियोजन शिकायत दाखिल की थी, जिस पर अदालत ने संज्ञान भी लिया था. अब हालिया कार्रवाई के बाद कुल 12.25 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां (4.81 करोड़ + 7.44 करोड़) अटैच की जा चुकी हैं, जो सतेंद्र जैन द्वारा अर्जित 100 प्रतिशत अवैध संपत्ति को दर्शाती हैं.

ईडी ने जानकारी सीबीआई को भी साझा की, जिसके आधार पर सीबीआई ने पूरक चार्जशीट दाखिल कर जैन की आय से अधिक संपत्ति का दायरा और बढ़ाया. ईडी जल्द ही इस मामले में पूरक अभियोजन शिकायत दाखिल करेगी. यह मामला वर्तमान में New Delhi की राउज एवेन्यू अदालत में विचाराधीन है.

डीएससी/