ग्रीस के प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी से की बात, भारत-ईयू एफटीए पर दिया समर्थन

New Delhi, 19 सितंबर . ग्रीस के Prime Minister क्यारीकोस मित्सोताकिस ने Friday को Prime Minister Narendra Modi से फोन पर बातचीत की. इस दौरान, उन्होंने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के शीघ्र और पारस्परिक लाभकारी निष्कर्ष के लिए ग्रीस के समर्थन को दोहराया. साथ ही उन्होंने अगले वर्ष होने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इम्पैक्ट समिट की सफलता की भी शुभकामनाएं दीं.

मित्सोताकिस ने Prime Minister मोदी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं, जिस पर पीएम मोदी ने उन्हें धन्यवाद दिया था.

Prime Minister कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, शिपिंग, रक्षा, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और जन-से-जन संपर्क जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में हो रही प्रगति का स्वागत किया और भारत-ग्रीस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई.

बयान में कहा गया, “Prime Minister मित्सोताकिस ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र संपन्न होने और 2026 में India द्वारा आयोजित किए जाने वाले एआई इम्पैक्ट समिट की सफलता के लिए ग्रीस का समर्थन व्यक्त किया. दोनों नेताओं ने परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार साझा किए और संपर्क में बने रहने पर सहमति जताई.”

गौरतलब है कि अगस्त 2023 में Prime Minister मोदी की ग्रीस यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर पर ले जाया गया था.

फरवरी 2024 में मित्सोताकिस ने India का राजकीय दौरा किया था, जो 15 साल बाद ग्रीस से India में किसी राष्ट्राध्यक्ष/Government प्रमुख का पहला दौरा था. इस दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत और गहरा किया था.

दोनों नेताओं ने तब साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, स्वतंत्रता, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय कानून (यूएनसीएलओएस सहित) के प्रति सम्मान, मानवाधिकारों, ऐतिहासिक संबंधों और लंबे समय से चले आ रहे रिश्तों को भारत-ग्रीस रणनीतिक संबंधों की नींव बताया था.

Prime Minister मोदी और मित्सोताकिस ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (आईएमईईसी) पर भी चर्चा की थी, जिसका उद्देश्य India और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाना है. इसके तहत व्यापार, वाणिज्य, निवेश, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, बंदरगाह और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर बल दिया गया.

डीएससी/