डूसू चुनाव के बीच उठी छात्र हितों से समझौता न करने वाले नेता की मांग

New Delhi, 18 सितंबर . दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के बीच छात्रों ने कहा कि वे अपने लिए एक ऐसा नेता चाहते हैं, जो उनके मूलभूत मुद्दों को तवज्जो दे. छात्रों ने राज्यवाद और जातिवाद से परे हटकर एक ऐसे नेता को चुनने की अपील की है, जो छात्रों के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार न करे.

समाचार एजेंसी से बातचीत में छात्र देव ने बताया कि यह दुर्भाग्य की बात है कि आज चुनाव के दौरान राज्यवाद को ज्यादा तवज्जो दी जाती है . मुझे लगता है कि अब समय आ चुका है कि हम इन सभी स्थितियों से बाहर निकलकर एक ऐसे नेता को चुनें जो हमारे हितों के बारे में सोचे.

मुझे यह जानकर दुख होता है, जब कोई कहता है कि हमारे पूर्वांचल का लड़का चुनाव में खड़ा हो या एनसीआर का लड़का चुनाव में खड़ा हो और हमें उसे हर हाल में जिताना है. ऐसी मानसिकता चुनाव के लिहाज से ठीक नहीं है.

छात्र ने कहा कि आज विश्वविद्यालय में अनेक समस्याए हैं. दिल्ली के बाहर से आने वाले छात्रों के लिए आवास की समस्या है. छात्रावास नहीं हैं. वे बाहर ज्यादा किराया देने के लिए मजबूर हैं. इसके अलावा, मेट्रो के किराए में वृद्धि होने से उनकी जेब पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है. यह सभी मुद्दे किसी भी छात्र के लिए जरूरी हो जाते हैं. लिहाजा, अब समय आ चुका है कि हम अपने लिए एक ऐसा छात्र नेता चुने, जो हमारे लिए इन मुद्दों को जोरशोर से उठाए.

उन्होंने कहा कि मैं कुल मिलाकर यही कहूंगा कि वोट आप उसे दो, जो आपके लिए काम करें, न किसी को भी उठाकर उस कुर्सी पर बैठा दो, जिसका वह हकदार नहीं है. हम छात्र राजनीति कर रहे हैं और छात्र राजनीति में स्टूडेंट का हित अहम होता है. यह दुख की बात है कि आज की तारीख में छात्रों के हितों के साथ बड़े पैमाने पर समझौता किया जा चुका है, लेकिन मुझे लगता है कि यह बदलाव का बिल्कुल सही समय है.

वहीं छात्र ईशान ने कहा कि मैंने पहली बार वोट किया. मुझे अनुभव काफी अच्छा रहा. मुझे लगता है कि अखिल भारतीय विधार्थी परिषद और एनएसयूआई के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. छात्रों के बीच कई प्रकार के मुद्दे हैं. जैसे कि मुझे लगता है कि हम स्टूडेंट को आने जाने में किराया बहुत लगता है. इस दिशा में भी छात्र नेता को कुछ कदम उठाने चाहिए. साथ ही, हम चाहते हैं कि एक ऐसा छात्र नेता हमारे बीच रहे, जो हमेशा हमारे हितों के साथ समझौता नहीं करे.

एक अन्य छात्र ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यायल छात्र चुनाव में एक ऐसे नेता को चुना जाए, जो स्टूडेंट के हितों के साथ समझौता नहीं करे. मौजूदा समय में छात्रों को आने जाने में ज्यादा किराया देना पड़ता है. ऐसी स्थिति में हमारे बीच एक ऐसा छात्र नेता उभरकर सामने आए, जो स्टूडेंट के किराए को कम करने की दिशा में कदम उठाए.

छात्र अभिषेक मिश्रा ने कहा कि हमारा संगठन महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष जोर देता है. इस बार हमारे छात्र संगठन ने दो छात्राओं को भी चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया. हमारी कोशिश है कि कॉलेज में छात्रों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं हो.

साथ ही, जो छात्र दूसरे राज्यों से आते हैं, उन्हें यहां पर किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो. आमतौर पर देखा जाता है कि दिल्ली के बाहर से आने वाले छात्रों को यहां पर कई प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है. लिहाजा, हमारा संगठन यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी छात्र के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो.

एसएचके/वीसी