शरीर में बढ़ रहा यूरिक एसिड? इन योगासनों से पाएं बिना दवा के आराम

New Delhi, 17 सितंबर . आजकल की बदलती लाइफस्टाइल, अनियमित दिनचर्या और फास्ट फूड की बढ़ती आदत ने सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. खासतौर पर खानपान की गलत आदतों के चलते कई तरह की बीमारियां लोगों को घेर रही हैं. इन्हीं में से एक समस्या शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना है.

यह समस्या अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि युवाओं और यहां तक कि किशोरों में भी देखने को मिल रही है.

जब शरीर में यूरिक एसिड का स्तर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तो ये जोड़ों में तेज दर्द, सूजन और गठिया जैसी परेशानियों की वजह बन सकता है. ऐसे कई योगासन हैं, जो एक आसान और प्रभावशाली तरीका है, जिससे यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

भुजंगासन:- भुजंगासन में जब आप पेट के बल लेटकर शरीर के ऊपरी हिस्से को उठाते हैं, तो पेट, कमर और पीठ के हिस्से में गहरा खिंचाव आता है. ये खिंचाव किडनी और लिवर जैसे आंतरिक अंगों को हल्का ‘मसाज’ देने जैसा काम करता है. यह आसन किडनी के आसपास के हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे किडनी की सफाई की ताकत बढ़ती है. इसके अलावा, यह पाचन सुधारता है, जिससे शरीर में फालतू प्यूरिन बनने की संभावना कम हो जाती है, जिससे यूरिक एसिड बनने की संभावना कम होती है.

उष्ट्रासन:- इस आसन में आप घुटनों के बल बैठकर शरीर को पीछे झुकाते हैं. इस दौरान पेट, छाती और रीढ़ की हड्डी पूरी तरह खुलती है और उसमें लचीलापन आता है. इस आसन को करते समय शरीर के अंगों में खून का बहाव तेज होता है. खासकर लिवर, किडनी और पाचन तंत्र पर इसका सीधा असर होता है, क्योंकि ये अंग ही शरीर से विषैले तत्वों जैसे यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करते हैं, इसलिए जब उन पर खिंचाव और दबाव आता है, तो उनका काम बेहतर होता है.

त्रिकोणासन:- त्रिकोणासन में जब आप एक तरफ झुकते हैं तो कमर और जांघों में खिंचाव आता है. यह आसन पूरे शरीर में खून के बहाव को बेहतर बनाता है. जब शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, तो यूरिक एसिड जैसे टॉक्सिन्स एक ही जगह जमा नहीं होते. यह आसन मेटाबॉलिज्म को तेज करता है. इससे यूरिक एसिड का स्तर धीरे-धीरे घटता है और जोड़ों में सूजन और दर्द की शिकायत कम हो जाती है.

पीके/एबीएम