New Delhi, 16 सितंबर . एक ‘मां’ चाहती है कि उसका बेटा अच्छा और कामयाब इंसान बने. चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, वह अपने बच्चे की सफलता के लिए हर बाधा से जूझने को तैयार रहती है. पिछले कुछ दिनों में भारतीय राजनीति में ‘मां’ और ‘बेटे’ का ये बंधन भी खूब चर्चाओं में रहा. आलोचनाओं के बावजूद एक बेटे ने न केवल ‘मां’ की गरिमा को बरकरार रखा, बल्कि आलोचकों को भी आईना दिखाया. हम बात कर रहे हैं India के Prime Minister Narendra Modi की, जिनके लिए उनकी ‘मां’ हीराबेन ही सबकुछ थीं.
2015 में जब Prime Minister मोदी अमेरिका के दौरे पर थे और इस दौरान एक कार्यक्रम में फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने उनसे पूछा था कि वे अपनी सफलता के पीछे ‘मां’ का कितना योगदान मानते हैं. इस सवाल पर तब Prime Minister मोदी भावुक हो गए थे. उन्होंने बताया था कि हमें पालने के लिए ‘मां’ ने दूसरों के घरों में बर्तन तक धोए थे.
social media प्लेटफॉर्म एक्स के मोदी आर्काइव हैंडल पर मौजूद जानकारी के अनुसार, जब Narendra Modi के बारे में उनकी मां हीराबेन को पता चला कि उनका बेटा Gujarat का Chief Minister बन गया है, तो वह भावुक हो गई थीं. जब वे अपनी मां से मिलने पहुंचे तो वह भावुक थीं. हीराबेन Narendra Modi से बस इतना ही कह पाईं, “बेटा, तुम्हें जो सही लगे वह करो, लेकिन, रिश्वत कभी मत लेना.”
17 सितंबर 1950 को Gujarat के मेहसाना जिला में बसे छोटे से शहर वडनगर में Narendra Modi का जन्म हुआ था. उनका परिवार बेहद गरीब था, लेकिन जीवन की शुरुआती कठिनाइयों ने न केवल उन्हें कड़ी मेहनत के मूल्य को सिखाया, बल्कि उन्हें आम लोगों के कष्टों से भी अवगत कराया. आम जन की गरीबी ने उन्हें बहुत कम उम्र में ही लोगों और राष्ट्र की सेवा में समर्पित होने के लिए प्रेरित किया.
‘मोदी आर्काइव’ एक्स अकाउंट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, पीएम Narendra Modi के शुरुआती दिनों को आकार देने में वडनगर की भूमिका काफी अहम रही. वडनगर के एक 40×12 फीट के छोटे से घर से लेकर वैश्विक मंच तक पीएम मोदी की यात्रा मेहनत और लगन की मिसाल है. साधारण परिवार में जन्मे Narendra Modi ने बचपन से ही मेहनत और समझदारी से मुश्किलों का हल निकालना सीखा. एक साधारण चाय बेचने वाले से देश के सर्वोच्च पद तक उनकी अद्भुत यात्रा की नींव इसी शहर में रखी गई.
अपने शुरुआती सालों में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ काम किया और इसके बाद राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भाजपा के संगठन में काम करने के लिए खुद को राजनीति में समर्पित किया. आपातकाल के दिनों में भी उन्होंने राष्ट्र के प्रति समर्पित निष्ठा के लिए तत्कालीन Government और सिस्टम के नाक में दम कर दिया था.
‘मोदी आर्काइव’ पर मौजूद जानकारी के अनुसार, कांग्रेस पार्टी के भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में छात्रों के नेतृत्व में आंदोलन निकाला जा रहा था और Gujarat कोई अपवाद नहीं था. पीएम मोदी ने 1974 में अपनी युवावस्था में ही Gujarat में नवनिर्माण आंदोलन के दौरान देश में बदलाव लाने में छात्रों की आवाज की शक्ति को प्रत्यक्ष रूप से देख लिया था. उस वक्त वह आरएसएस के प्रचारक थे. उन्होंने अपने भाषणों के माध्यम से युवा आंदोलन का जोश भी बढ़ाया. उन्होंने एक कविता के जरिए तत्कालीन कांग्रेस Government को ललकारा और कहा, “जब कर्तव्य ने पुकारा तो कदम-कदम बढ़ गए, जब गूंज उठा नारा ‘India मां की जय’, तब जीवन का मोह छोड़ प्राण पुष्प चढ़ गए, कदम-कदम बढ़ गए, टोलियां की टोलियां जब चल पड़ी यौवन की, तो, चौखट चरमरा गए सिंहासन हिल गए.”
आपतकाल हटने के बाद उन्होंने कई पदों पर काम किया और Gujarat के Chief Minister बनने से लेकर Prime Minister पद तक का सफर तय किया. उनके विजन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने भाजपा के एक कार्यकर्ता रहते ही 21वीं सदी के विकसित India की कल्पना को जाहिर कर दिया था.
मोदी आर्काइव हैंडल पर मौजूद एक वीडियो के मुताबिक, साल 1999 में चेन्नई में भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई थी. तब पीएम मोदी भाजपा के महासचिव थे. इस दौरान उन्होंने तमिलनाडु की धरती से संकल्प लिया था कि 21वीं सदी India की सदी होगी, जो आज सच साबित होता नजर आ रहा है.
पीएम Narendra Modi आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले Prime Minister हैं, जो 2014 से 2019 और 2019 से 2024 तक India के Prime Minister के रूप में कार्य कर चुके हैं. उन्होंने 9 जून 2024 को तीसरी बार India के Prime Minister के रूप में शपथ ली थी. उन्हें अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक के अपने कार्यकाल के साथ Gujarat के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले Chief Minister होने का गौरव भी हासिल है.
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एफएम/एएस