प्रधानमंत्री मोदी से मिलना कुछ नया सीखने का अवसर होता है : उदय कोटक

New Delhi, 16 सितंबर . India के Prime Minister Narendra Modi Wednesday को अपना 75वां जन्मदिन मनाएंगे. भारतीय जनता पार्टी ने इस उपलक्ष्य में देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं. Political वर्ग के साथ साथ व्यापारी वर्ग भी Prime Minister के 75वें जन्मदिन को लेकर बेहद उत्साहित है. देश के मशहूर उद्योगपति उदय कोटक ने कहा है कि पीएम मोदी मिलना हर बार उनके लिए कुछ नया सीखने वाला अवसर होता है.

social media प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर करने के साथ ही उदय कोटक ने एक लंबी पोस्ट लिखी है, जिसमें उन्होंने Prime Minister से जुड़े अपने भाव व्यक्त किए हैं.

उदय कोटक ने लिखा, “Prime Minister Narendra Modi के साथ हर बातचीत सीखने का अवसर और और प्रेरणादायी अनुभव होता है. अपनी जिज्ञासा को जिस विनम्रता और दूरदर्शिता से वह जोड़ते हैं, वह मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. पिछले कुछ वर्षों में, मुझे उनके साथ बातचीत करने के कई अवसर मिले हैं. हर बार मुझे उनकी उल्लेखनीय नेतृत्व शैली की गहरी समझ मिली है.”

उन्होंने लिखा, “वाइब्रेंट Gujarat के प्रति उनके गहरे जुनून ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. मैं लंबे समय से इस सम्मेलन में भाग लेता रहा हूं. हर बार मुझे उनसे आमने-सामने मिलने का सौभाग्य मिला है. हमारी चर्चा हमेशा विकास और India को एक मजबूत और गतिशील राष्ट्र में कैसे बदला जा सकता है, इस पर केंद्रित होती थी.”

उदय कोटक ने लिखा, “Chief Minister के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान मुझे उनके साथ विदेश यात्रा करने का भी अवसर मिला. उनकी जिज्ञासा अद्भुत थी. वह नए देश की यात्रा करते हुए कुछ नया सीखते. कई मौकों पर, उन्होंने उन यात्राओं से अपने अवलोकन और अंतर्दृष्टि को साझा भी किया.”

उन्होंने लिखा, “एक बार Ahmedabad में एक मुलाकात के दौरान उन्होंने मुझे अपनी जापान यात्रा के बारे में बताया, जहां उन्होंने रेलवे स्टेशन तक जाने वाली सड़कों पर ब्रेल लिपि में लिखे निशान देखे थे. उन्होंने बताया कि कैसे एक दृष्टिबाधित व्यक्ति उन टाइलों का उपयोग करके स्वतंत्र रूप से और सुरक्षित रूप से चल सकता है. वे इस विचार से इतने प्रभावित हुए कि Gujarat लौटने पर, उन्होंने Ahmedabad के कांकरिया में भी यही अवधारणा लागू की. आज भी कांकरिया में हम इसे देख सकते हैं.”

कोटक ने लिखा, “यह छोटा सा उदाहरण बारीकियों पर उनके ध्यान क्रियान्वयन और समावेशी विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. जब भी वे दूसरे देश में जाते थे, तो वे सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने और उन्हें Gujarat और India की बेहतरी के लिए अपनाने के लिए उत्सुक रहते थे. सीखने, अनुकूलन और सुधार की यह अथक इच्छा, India को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उनके दृष्टिकोण को प्रेरित करती रहती है.”

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