रूसी तेल खरीदने से अमेरिका को नुकसान, ट्रेड वार्ता के बीच नवारो का दावा- ‘भारत चीन के साथ असहज’

न्यूयॉर्क, 16 सितंबर . टैरिफ पर मचे विवाद के बीच अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच New Delhi के दौरे पर हैं. लिंच की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब कई दिनों के तीखे गतिरोध के बाद अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप और Prime Minister Narendra Modi के सकारात्मक संदेशों से व्यापार समझौते की उम्मीदें बढ़ गई हैं.

इस दौरान India के सख्त विरोधी रहे ट्रंप के वरिष्ठ व्यापार सलाहकार पीटर नवारो का एक बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि India बातचीत की मेज पर आ रहा है. हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि रूस से तेल खरीद अमेरिका और India के व्यापारिक संबंधों पर असर डाल रही है.

सीएनबीसी के कार्यक्रम स्क्वॉक बॉक्स में उन्होंने कहा, “India बातचीत की मेज पर आ रहा है.”

नवारो ने कहा, “India के Prime Minister ने एक बहुत ही सौहार्दपूर्ण, अच्छा और रचनात्मक पोस्ट किया और President ट्रंप ने उस पर प्रतिक्रिया दी, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने क्रम को गलत समझ लिया है.”

ट्रंप ने 9 सितंबर को ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है और मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों महान देशों के लिए किसी सफल निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी. उन्होंने Prime Minister मोदी को अपना ‘महान मित्र’ बताते हुए कहा कि वह उनसे बात करेंगे.

ट्रंप के पोस्ट पर लगभग 17 घंटे बाद Prime Minister मोदी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि हमारी व्यापार वार्ता भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम संभावनाओं को उजागर करने का मार्ग प्रशस्त करेगी.” उन्होंने आगे कहा था कि वह ट्रंप से बातचीत के लिए उत्सुक हैं.

नवारो ने New Delhi पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने की शिकायत भी दोहराई, जबकि साक्षात्कारकर्ता ने नवारो की उस टिप्पणी का मजाक उड़ाया, जिसमें उन्होंने India को ‘टैरिफ का महाराजा’ बताया.

नवारो ने कहा, “किसी भी बड़े देश की तुलना में उनके टैरिफ सबसे ज्यादा हैं. हमें इससे वैसे ही निPatna पड़ा, जैसे हम हर दूसरे देश के साथ निपट रहे हैं, जो ऐसा करता है.”

उन्होंने दावा किया कि वैसे यह मुद्दा India द्वारा रूसी तेल खरीदने का है, जो यूक्रेन संघर्ष से पहले नहीं था. युद्ध के तुरंत बाद भारतीय रिफाइनर रूसी रिफाइनरों के साथ मिल गए और वे ‘डाकुओं’ की तरह काम कर रहे हैं.

नवारो ने दावा किया कि India के रूस से तेल खरीदने से अंततः अमेरिकी करदाताओं को नुकसान होगा, क्योंकि जब मास्को India से प्राप्त राजस्व का उपयोग हथियार खरीदने के लिए करता है तो यूक्रेन को हथियार देने के लिए अमेरिका को भुगतान करना पड़ता है.

नवारो ने कहा कि उन्हें लगता है कि पिछले महीने तियानजिन में चीन के President शी जिनपिंग से मुलाकात के वक्त Prime Minister मोदी असहज महसूस कर रहे थे.

उन्होंने कहा, “Prime Minister मोदी को लंबे समय से India के अस्तित्व के लिए खतरा रहे चीन के President और रूसी समकक्ष पुतिन के साथ एक मंच पर देखना दिलचस्प अनुभव था. मुझे नहीं लगता कि पीएम मोदी सहज महसूस कर रहे थे.”

इससे पहले रूसी तेल खरीदने से नाराज President डोनाल्ड ट्रंप ने India पर 25 प्रतिशत दंड स्वरूप टैरिफ लगाने का फैसला किया था. India पर कुल मिलाकर 50 प्रतिशत टैरिफ थोपने और India की अर्थव्यवस्था को ‘मृत’ कहने के बाद ट्रंप ने अचानक सुलह वाला बयान दिया.

उन्होंने पिछले हफ्ते फॉक्स न्यूज पर एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि यह शुल्क India के साथ दरार पैदा करता है और इसे लागू करना आसान काम नहीं है.

वीसी/एबीएम