वक्फ कानून मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का हनन : मोहम्मद सुलेमान

Kanpur,15 सितंबर . वक्फ (संशोधन) अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने वाले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर आईएनएल के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने Supreme court के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अंतिम फैसला मुसलमानों के हक में हो, जो अधिनियम को असंवैधानिक बताने वाली याचिकाओं के पक्ष में हो.

मोहम्मद सुलेमान ने से बातचीत में कहा कि ऐसे तीन-चार मुद्दे थे, जिन पर हमें गंभीर आपत्ति थी और जिन्हें हम भारतीय संविधान के मूल प्रावधानों के विरुद्ध मानते थे. हमने अधिनियम को पूरी तरह से निरस्त या रद्द करने की मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने ऐसा नहीं किया है, हमें उम्मीद है कि अंतिम फैसला हमारे हक में होगा.

उन्होंने कहा कि जिन मुख्य प्रावधानों पर हमें आपत्ति थी, वे थे, पहला, किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति माना जाए या नहीं, यह तय करने का पूरा अधिकार जिला मजिस्ट्रेट को देना, दूसरा, वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड की संरचना, जहां मुसलमानों, जिनके नाम पर संपत्तियां हैं. उनको संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत पर्याप्त अधिकार नहीं दिए गए थे, और तीसरा, यह शर्त कि केवल पांच वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाले लोग ही वक्फ उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकरण के पात्र होंगे. हम इस प्रतिबंध पर कड़ी आपत्ति करते हैं.

मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि हम Supreme court के अंतिम फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो मुसलमानों के हित में हो. India में मुसलमान अल्पसंख्यक के तौर पर रहते हैं; यह संशोधन उनके मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 25-26) का उल्लंघन है. हम संवैधानिक तरीके से (बहस, याचिकाएं) लड़ाई लड़ते रहेंगे, अंतिम फैसले तक इंतजार करेंगे.

उन्होंने कहा कि हमारी मांग थी कि पूरे संशोधन पर रोक लगे, लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं किया. पूरा आदेश पढ़ा नहीं है, लेकिन अंतरिम राहत याचिका को कुछ हद तक मान्यता दी गई लगती है. भविष्य में अंतिम फैसला हमारे हित में आएगा. उन्होंने कहा कि जन आंदोलन जारी रखेंगे, जिससे जनता की जागरूकता बढ़े. Government की मनमानी कानूनी फैसलों के खिलाफ जनता को खड़ा करेंगे, लोकतंत्र में यही तरीका है.

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