नेपाल में पदभार संभालते ही प्रधानमंत्री सुशीला कार्की का ऐलान, प्रदर्शन में जान गंवाने वालों को ‘शहीद’ का दिया दर्जा

काठमांडू, 14 सितंबर . नेपाल की अंतरिम Prime Minister सुशीला कार्की ने Sunday को औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया. पदभार संभालते ही उन्होंने जेन-जी आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को ‘शहीद’ का दर्जा और उनके आश्रितों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की.

भ्रष्टाचार और social media पर बैन के फैसले के विरोध में हुए आंदोलन के बाद President रामचंद्र पौडेल ने Friday को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को देश की अंतरिम Prime Minister के रूप में शपथ दिलाई थी.

सुशीला कार्की ने शपथ ग्रहण के दो दिन बाद कार्यभार संभाला. उन्होंने Sunday सुबह लैंचौर स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित कर अपने कार्यकाल की शुरुआत की, जिसके बाद वे सिंह दरबार गईं.

उन्होंने गृह मंत्रालय के भवन से अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन शुरू किया, क्योंकि पिछले Tuesday को हिंसक प्रदर्शनों और आगजनी से मुख्य परिसर क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद Prime Minister कार्यालय को स्थानांतरित कर दिया गया था.

कार्यभार संभालते ही Prime Minister सुशीला कार्की ने नेपाल में हुए हिंसक प्रदर्शनों के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान की.

मुख्य सचिव एकनारायण आर्यल ने कहा है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों को ‘शहीद’ माना जाएगा और उनके परिवारों को 10-10 लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी.

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, Government ने 134 घायल प्रदर्शनकारियों और 57 घायल Policeकर्मियों के चिकित्सा उपचार की घोषणा की है.

द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालयों को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए नुकसान का विस्तृत विवरण देने वाली रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है.

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नेपाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में 72 लोगों ने जान गंवाई है, जिनमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और तीन Police अधिकारी शामिल हैं.

President पौडेल ने Saturday को राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने सभी पक्षों से अगले साल 5 मार्च को होने वाले प्रतिनिधि सभा के चुनावों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में सहयोग करने का आग्रह किया. उनकी यह टिप्पणी Friday आधी रात को निचले सदन के भंग होने के बाद प्रमुख Political दलों की बढ़ती आलोचना के बीच आई.

इस कदम को व्यापक रूप से जेन-जी आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक के रूप में देखा जा रहा है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मौजूदा संसद भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और वास्तविक सुधार करने में असमर्थ है.

कार्की की सिफारिश पर अमल करते हुए निचले सदन को भंग कर दिया गया था. President पौडेल ने इसे संविधान, संसदीय प्रणाली और नेपाल के संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया था.

वीसी/एबीएम