New Delhi, 13 सितंबर . देश के दिग्गज वकीलों में शामिल राम जेठमलानी ने अदालत में अपनी तेज तर्रार दलीलों से वर्षों तक अपनी वकालत का लोहा मनवाया. वे अपनी बेबाकी और बिंदास अंदाज के लिए जाने जाते थे. एक रुपए की केस फीस से वकालत शुरू करने वाले राम जेठमलानी के जीवन में वो भी समय आया था, जब हर क्लाइंट उनकी फीस को अफोर्ड नहीं कर सकता था. आइए जानते हैं राम जेठमलानी के जन्मदिन पर उनकी जीवन से जुड़े कुछ अहम पहलू.
राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था. उन्होंने भारत के विभाजन से पहले कराची में अपनी वकालत शुरू की थी. विभाजन के बाद वे Mumbai आ गए, जहां उन्होंने नए सिरे से अपने करियर की शुरुआत की.
भारतीय राजनीति और विधि क्षेत्र में राम जेठमलानी एक अत्यंत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व माने जाते हैं. उन्होंने करीब 75 साल वकालत की. उन्होंने बहुचर्चित नानावटी से लेकर इंदिरा गांधी और हर्षद मेहता के केसों को लड़ा था. उन्होंने अदालत में आसाराम से लेकर अफजल गुरु तक की पैरवी की थी. उनके क्लाइंट में बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त भी शामिल थे.
उन्होंने 1993 के Mumbai दंगों से जुड़े टाडा मामले में फंसे एक्टर संजय दत्त को जमानत दिलवाई थी, लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब दोनों के रिश्ते में खटास आ गई, हालांकि गलती का एहसास होने के बाद संजय दत्त के सामने उनकी आंखों से आंसू झलक पड़े थे.
राम जेठमलानी ने कहा था कि संजय दत्त का Lok Sabha सदस्य बनना देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा. Supreme court के सीनियर एडवोकेट प्रदीप राय ने ‘इंडिया लीगल लाइव’ पर राम जेठमलानी पर लिखे संस्मरण में कहा है कि भले ही जेठमलानी ने संजय दत्त को जमानत दिलवा दी थी, लेकिन दोनों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे.
एक बार जेठमलानी ने संजय दत्त के खिलाफ प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि वे सांसद बनने लायक नहीं हैं. हालांकि, बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया और फिर माफी भी मांगी थी.
उन्होंने अपने संस्मरण में लिखा कि एक मौका आया कि दिल्ली एयरपोर्ट के लाउंज में राम जेठमलानी और संजय दत्त आमने-सामने आ गए, क्योंकि दोनों अपनी-अपनी फ्लाइट की प्रतीक्षा कर रहे थे.
इस दौरान जेठमलानी अपनी सीट से उठकर संजय दत्त के पास आए और रोने लगे. जेठमलानी ने संजय दत्त का हाथ पकड़कर कहा कि बेटा, तुम्हारे साथ मैंने अन्याय किया है. मैं तुमसे और तुम्हारे पिता से माफी मांगना चाहता हूं. दुर्भाग्य से तुम्हारे पिता (सुनील दत्त) इस दुनिया में नहीं हैं. कृपया मुझे माफ कर देना.
इस दौरान राम जेठमलानी को रोता देखकर संजय दत्त की आंखों में आंसू आ गए थे. उन्होंने जेठमलानी के पैर छूते हुए कहा था कि मेरी किस्मत में जो लिखा था, वो हुआ. मेरे मन में आपके प्रति कोई कटुता नहीं है.
उनका पॉलिटिकल करियर में उतना ही दिलचस्प रहा, जितनी उनकी वकालत. वह न्यायपालिका, सरकार और यहां तक कि अपनी ही पार्टी की नीतियों पर भी खुलकर टिप्पणी करते थे.
भारत में आपातकाल (1975-77) के दौरान जेठमलानी बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे. उन्होंने 1971 के आम चुनावों में उल्हासनगर निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा.
उन्होंने 1980 के आम चुनावों में अपनी सीट बरकरार रखी. 1985 के आम चुनाव में जेठमलानी अपनी सीट बरकरार नहीं रख सके. उन्हें सुनील दत्त से हार का सामना करना पड़ा. 1988 में, वे राज्यसभा के सदस्य बने. 1996 के चुनाव के बाद उन्हें केंद्रीय कानून मंत्री बनाया गया. 1998 में उन्हें केंद्रीय शहरी मामलों और रोजगार मंत्रालय का प्रभार दिया गया, जो तत्कालीन Prime Minister अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा कार्यकाल था. 1999 में उन्हें फिर से कानून मंत्री बनाया गया.
2004 में जेठमलानी ने Lucknow Lok Sabha क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आम चुनाव लड़ा. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि जेठमलानी चुनाव हार गए थे. बाद में 2010 में भाजपा ने उन्हें राजस्थान से राज्यसभा का टिकट दिया और वे चुने गए.
फिर एक वक्त आया, जब बेबाक विचारों के लिए मशहूर राम जेठमलानी को 2013 में पार्टी विरोधी टिप्पणी करने के कारण भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया.
राम जेठमलानी और लालू यादव के संबंध व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर मधुर रहे. 2016 में जब लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने उन्हें बिहार से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया तो राजनीतिक हलकों में इसकी काफी चर्चा हुई, क्योंकि राम जेठमलानी न तो राजद के नेता थे और न ही उनका बिहार से सीधा जुड़ाव था. हां, राम जेठमलानी ने चारा घोटाले से जुड़े केस समेत कई कानूनी मामलों में लालू का बचाव किया था.
राम जेठमलानी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री रह चुके हैं. वे चारा घोटाले मामले में लालू प्रसाद यादव के भी वकील थे. उन्होंने लालू यादव से सिर्फ एक रुपए फीस ली, लेकिन उनकी एक अजीबोगरीब शर्त थी कि वे लालू के साथ ड्रिंक पर कुछ शाम बिताएंगे.
जेठमलानी को लालू यादव चाचा कहते थे और लालू ने कहा था कि चाचा खिलाते हैं, जबरदस्ती पिलाते हैं और केस भी जिताते हैं. जेठमलानी का 8 सितंबर 2019 को निधन हो गया.
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डीकेपी/