Lucknow, 13 सितंबर . स्वामी रामभद्राचार्य के मनुस्मृति और बाबासाहेब अंबेडकर पर दिए गए बयान पर राजनीति गरमा गई है. इसे लेकर बसपा मुखिया मायावती ने कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने बिना नाम लिए हुए सलाह दी है कि भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं है. इसलिए उनके बारे में कोई भी ग़लत बयानबाज़ी से बचे और चुप रहें तो यह उचित होगा.
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने Saturday को social media मंच एक्स पर लिखा कि आए दिन सुर्ख़ियों में बने रहने हेतु विवादित बयानबाजी करने वाले कुछ साधु-संतों को परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में रहे उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण, इनको इस बारे में कोई भी ग़लत बयानबाजी आदि करने की बजाय, यदि वे चुप रहें तो यह उचित होगा.
उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहेब के अनुयायी मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं? उसे भी इनको अपनी जातिवादी द्वेष की भावना को त्याग कर ज़रूर समझना चाहिये. इसके साथ-साथ इन्हें यह भी मालूम होना चाहिये कि बाबा साहेब महान विद्वान व्यक्तित्व थे. इस मामले में कोई भी टीका-टिप्पणी करने वाले साधु-संत इनकी विद्वता के मामले में कुछ भी नहीं हैं. अतः इस बारे में भी कुछ कहने से पहले इनको ज़रूर बचना चाहिये, यही नेक सलाह है.
ज्ञात हो कि एक निजी चैनल के कार्यक्रम में तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने वायरल में कहा कि स्मृति देश का पहला संविधान है. उन्होंने यहां तक दावा किया कि मनु मनुस्मृति में ऐसी एक भी लाइन नहीं है जो कि भारतीय संविधान के खिलाफ हो. अंबेडकर साहब अगर संस्कृत जानते तो मनुस्मृति को जलाने की गलती नहीं करते. उनके इस बयान के बाद देश की राजनीति में उबाल आ गया. राजद, बसपा और अंबेडकर के पोते उन्हें घेरने में जुटे हैं.
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विकेटी/एएस