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New Delhi, 12 सितंबर . ईईपीसी इंडिया ने केंद्र Government से ब्याज समानीकरण योजना (आईईएस) को बहाल करने, किफायती एक्सपोर्ट फाइनेंस सुनिश्चित करने और India से इंजीनियरिंग निर्यात पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के एक हिस्से को वहन करने के लिए सहायता प्रदान करने का आग्रह किया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा के साथ एक बैठक में, ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने हाल ही में अमेरिकी टैरिफ के मद्देनजर इंजीनियरिंग क्षेत्र की कमजोरियों पर प्रकाश डाला और निर्यातकों के लिए उधारी लागत कम करने में सहायता की मांग रखी.
चड्ढा ने कहा, “अमेरिका को India का इंजीनियरिंग निर्यात औसतन लगभग 20 अरब अमेरिकी डॉलर का है, जो अमेरिकी टैरिफ के अधीन India के कुल निर्यात का लगभग 45 प्रतिशत है. यह हमारे क्षेत्र की कमजोरियों और Governmentी समर्थन की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है. इस नुकसान को कम करने के लिए, उद्योग को कुछ क्षेत्रों में तत्काल Governmentी हस्तक्षेप की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा, “ईईपीसी इंडिया Government से खासकर एमएसएमई के लिए या कम से कम इंजीनियरिंग क्षेत्र की एसएमई विनिर्माण इकाइयों के लिए आईईएस को बहाल करने का आग्रह करती है.”
चड्ढा ने कहा, “एमएसएमई को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से वित्त प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जहां हाई कोलेटेरल की आवश्यकताएं बनी रहती हैं. इसके अतिरिक्त, बैंकों द्वारा कोलेटेरल और ब्याज दरों को निर्धारित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्रेडिट रेटिंग सिस्टम एमएसएमई को असमान रूप से प्रभावित करती है.”
ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इंजीनियरिंग निर्यातकों के अमेरिकी ऋण जोखिम ने उनकी क्रेडिट रेटिंग को प्रभावित किया है और सुझाव दिया कि रेटिंग एजेंसियों को कम से कम इस वर्ष के लिए क्रेडिट रेटिंग की गणना करते समय अमेरिकी ऋण जोखिम पर विचार नहीं करना चाहिए.
आरबीआई गवर्नर के साथ बैठक के दौरान यह भी पाया गया कि India और प्रतिस्पर्धी देशों के बीच शुल्क का औसत अंतर 30 प्रतिशत है.
ईईपीसी इंडिया ने सुझाव दिया है कि उद्योग टैरिफ का 15 प्रतिशत वहन कर सकता है, लेकिन शेष 15 प्रतिशत के लिए Government से सहायता की आवश्यकता है.
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एसकेटी/