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New Delhi, 12 सितंबर . उपPresident पद के लिए निर्वाचित सीपी राधाकृष्णन ने Friday को India के 15वें उपPresident के रूप में शपथ ली. President द्रौपदी मुर्मू ने President भवन में उन्हें शपथ दिलाई. 67 वर्षीय राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को हुए उपPresident चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी.
तत्कालीन उपPresident जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा देने के कारण नियमों के तहत यह चुनाव जरूरी था. ऐसा इसलिए कि अगले उपPresident का निर्वाचन निवर्तमान उपPresident की पदावधि की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर किया जाना होता है. धनखड़ भी इस समारोह में शामिल हुए, जो उपPresident पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी.
India का निर्वाचन आयोग उपPresident के पद के लिए निर्वाचन कराता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324(1) के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को President और उपPresident के पदों के लिए होने वाले चुनावों के संचालन के लिए अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार मिला हुआ है. President व उपPresident चुनाव अधिनियम 1952 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में इसको लेकर विस्तृत प्रावधान किए गए हैं.
अहम यह है कि देश में उपPresident सीधे जनता की तरफ से नहीं चुने जाते हैं. यह चुनाव एक निर्वाचक मंडल की तरफ से किया जाता है, जिसमें Lok Sabha और राज्यसभा के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) शामिल होते हैं. इसमें राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते. यह भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल संक्रमणीय मत की विधि से होता है, और मतदान गुप्त रहता है.
चुनाव कार्यक्रम इस तरह निर्धारित किया जाता है कि निर्वाचित उपPresident निवर्तमान उपPresident के कार्यकाल की समाप्ति के अगले दिन पदभार ग्रहण कर सकें.
उपPresident अपने पदभार ग्रहण करने की तारीख से 5 साल की अवधि के लिए पद धारण करते हैं. हालांकि, अपने कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद वे तब तक पद पर बने रहेंगे, जब तक कि उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले.
उपPresident की मृत्यु, पद से हटाए जाने या त्यागपत्र देने की स्थिति में संविधान में नए चुनाव के अलावा उत्तराधिकार का कोई अन्य तरीका नहीं है. हालांकि, ऐसी स्थिति में उपसभापति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य कर सकते हैं.
उपPresident संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होता है. अगर संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपPresident निर्वाचित हो जाता है, तो यह समझा जाता है कि उसका पहले का पद खुद रिक्त हो जाता है.
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डीसीएच/एबीएम