New Delhi, 10 सितंबर . वैश्विक अनिश्चितता के बीच Government of India निर्यातकों के लिए दुनिया में नए बाजार तलाश रही है. इस बीच केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि चीनी मार्केट भारतीय निर्यातकों के लिए नया बाजार हो सकता है. इससे भारतीय निर्यातकों को 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी.
राष्ट्रीय राजधानी में अपने ऑफिस में समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए सीबीआईसी चेयरमैन ने कहा कि अगर घरेलू निर्यातक प्रतिस्पर्धी हों तो चीन हमारे लिए नया बाजार बन सकता है. हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि चीन को कौन सी वस्तुएं निर्यात की जा रही हैं, और चूंकि निर्यातक हमेशा नए बाजारों की खोज करते हैं, इसलिए चीन उनमें से एक हो सकता है.”
उन्होंने आगे कहा कि यदि निर्यातकों को लगता है कि वे चीनी बाजार में प्रवेश करने में प्रतिस्पर्धी हैं, तो “निश्चित रूप से वे वहां पैर जमा सकते हैं.”
वर्तमान में फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर को छोड़कर, सभी उद्योग 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहे हैं.
पिछले सप्ताह जीएसटी परिषद ने कर ढांचे को संशोधित कर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय दरों में बदल दिया, और 22 सितंबर से प्रभावी नई दरों में सिन और लग्जरी गुड्स पर 40 प्रतिशत कर लगाने का फैसला किया गया है.
सीबीआईसी के चेयरमैन ने को बताया कि “जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी. इससे घरेलू खपत में वृद्धि, नए बाजार, रसद लागत में कमी और हमारे निर्यात को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिल सकती है.”
उन्होंने आगे कहा कि निर्यातकों की लागत कम होगी और इससे उन्हें यूरोप में भी प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलेगी.
इस सप्ताह की शुरुआत में, भारत में चीन के राजदूत, शू फेइहोंग ने कहा था कि भारत और चीन को किसी भी प्रकार के टैरिफ और व्यापार युद्धों का “दृढ़ता से विरोध” करना चाहिए और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखना चाहिए.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि के दौरान, भारत का निर्यात 19.97 प्रतिशत बढ़कर 5.75 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 13.06 प्रतिशत बढ़कर 40.65 अरब डॉलर हो गया.
वित्त वर्ष 2024-25 में, भारत का निर्यात 14.25 अरब डॉलर और आयात 113.5 अरब डॉलर रहा.
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एबीएस/