ढाका विश्वविद्यालय चुनावों में कट्टरपंथी जमात की छात्र इकाई जीती, पाकिस्तान बोला ‘रचा नया इतिहास’

ढाका, 10 सितंबर . पाकिस्तान ने ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (डीयूसीएसयू) में बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) की छात्र शाखा की जीत पर खुशी जताई है. परिणाम Wednesday को घोषित किए गए.

कुल 28 पदों के लिए 471 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई, जिनमें इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) पैनल के अबू शादिक कायम, एस एम फरहाद और मोहिउद्दीन खान क्रमशः उपाध्यक्ष, महासचिव और सहायक महासचिव पद के लिए चुने गए.

चुनावों में जीत के तुरंत बाद, स्थानीय मीडिया ने बताया कि जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान ने भी डीयूसीएसयू चुनाव जीतने पर आईसीएस को बधाई दी और कहा कि बांग्लादेश में “नया इतिहास” रचा गया है.

पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए विरोध प्रदर्शनों में हिंदुओं, धार्मिक अल्पसंख्यकों और गैर-इस्लामी सांस्कृतिक संस्थानों के धार्मिक स्थलों पर भीड़ ने हमला कर कलाकृतियों को तहस नहस कर छात्र एकता को आकार दिया था. हिंसा का ये दौर अब भी जारी है और यही बात डीयूसीएसयू चुनाव में आईसीएस की सफलता में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को देखते हुए, विश्लेषकों का मानना ​​है कि ये नतीजे यह भी दर्शाते हैं कि बांग्लादेश की राजनीति, हिंसा समर्थक कट्टरपंथियों को तरजीह दे रही है. आईसीएस द्वारा डीयूसीएसयू चुनाव जीतने के साथ ही जमात-ए-इस्लामी का हेरफेर या साजिश के जरिए एकीकरण शुरू हो गया है.

डीयूसीएसयू के इतिहास में यह पहली बार है कि जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा ने खुले तौर पर पूरे पैनल के साथ चुनाव लड़ा, जिसका मुख्य कारण मुहम्मद यूनुस के अंतरिम प्रशासन के तहत हुए चुनाव और प्रमुख अवामी लीग की बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध है.

आईसीएस पिछले साल सितंबर में पूर्व Prime Minister शेख हसीना के चौंकाने वाले इस्तीफे के एक महीने बाद सार्वजनिक रूप से फिर से सामने आया, और इसने ढाका विश्वविद्यालय में बांग्लादेश छात्र लीग के 15 साल लंबे वर्चस्व को भी समाप्त कर दिया.

अपने पुनरुत्थान के एक साल बाद, इस कट्टरपंथी छात्र संगठन ने मदरसों (धार्मिक इस्लामी स्कूलों) के छात्रों का पर्याप्त समर्थन हासिल करने में कामयाबी हासिल की.

इस बीच, अबिदुल और उमामा ने डीयूसीएसयू चुनाव परिणामों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि उनमें धांधली हुई थी और वो एक “तमाशा” था.

उन्होंने आरोप लगाया कि ढाका विश्वविद्यालय प्रशासन ने देश को शर्मसार किया है क्योंकि पूरा प्रशासन शिबिर के वफादार चला रहे हैं.

केआर/