पीएम मत्स्य संपदा योजना के 5 साल : ‘नीली क्रांति’ से रोजगार और उम्मीदों को लगे नए पंख

New Delhi, 10 सितंबर . Prime Minister मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) ने 5 साल पूरे कर लिए हैं. इसे 20 मई 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में “नीली क्रांति” की शुरुआत करने के लिए ऐतिहासिक पहल के रूप में स्वीकृति दी गई थी. इस योजना की सफलता यह है कि पिछले 5 सालों में मछुआरे रिकॉर्ड पैदावार के साथ बढ़ते निर्यात और समावेशी व सतत विकास के साथ सशक्त बने हैं.

Prime Minister Narendra Modi ने पीएमएमएसवाई का शुभारंभ 10 सितंबर 2020 को किया था. इस योजना को 20,050 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ स्वीकृति दी गई थी. इसमें 2020-21 से 2024-25 तक 5 साल की अवधि के लिए केंद्र सरकार से मिले 9,407 करोड़ रुपए, State government ों से मिले 4,880 करोड़ रुपए और लाभार्थियों के योगदान के रूप में 5,763 करोड़ रुपए शामिल हैं. इन 5 सालों में यह संपूर्ण भारत में सफलता की कहानियों को आगे बढ़ा रही है.

किसान कल्याण विभाग के आंकड़े बताते हैं कि भारत 2024-25 में 195 लाख टन मत्स्य उत्पादन करके इस क्षेत्र में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बना. फरवरी, 2025 तक मत्स्य पालन की उत्पादकता में 3 से 4.7 टन प्रति हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत से वृद्धि हुई. यही नहीं, दिसंबर 2024 तक 55 लाख के लक्ष्य को पार करते हुए रोजगार के 58 लाख अवसर सृजित किए गए.

social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ‘द मोदी स्टोरी’ में Prime Minister मत्स्य संपदा योजना की सफलता और इसके प्रभाव को लेकर पोस्ट किया है. पोस्ट में बताया गया है किस तरह Prime Minister Narendra Modi का विजन किसानों को आत्मनिर्भरता की नई राह दिखा रहा है. पोस्ट में हरिद्वार के किसान भूदेव सिंह का जिक्र है. भूदेव सिंह पहले पारंपरिक खेती से गुजारा भर की आय पाते थे. कोविड काल में उन्हें इस योजना की जानकारी मिली. उन्होंने तालाब बनवाकर मत्स्य पालन शुरू किया और 1.76 लाख की सब्सिडी पाई. सिर्फ पहले साल ही उनकी आय में पौने दो लाख रुपए की बढ़ोतरी हुई. आज वे आधुनिक खेती और मत्स्य पालन से अपनी कमाई दोगुनी कर चुके हैं और उनका जीवन स्तर भी बेहतर हुआ है.

भूदेव सिंह को वह पल आज भी याद है, जब उनकी सीधी बातचीत Prime Minister मोदी से हुई, यह उनके लिए आत्मविश्वास और प्रेरणा का अनमोल अनुभव था. Prime Minister Narendra Modi के साथ संवाद में भूदेव सिंह ने अपनी सफलता के बारे में बताया था. ‘द मोदी स्टोरी’ ने इस संवाद का वीडियो social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शेयर किया है.

ऐसी ही एक कहानी उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के कपिल तलवार की है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपने करियर में आए झटके को सफलता में बदल दिया. खटीमा ब्लॉक के मूल निवासी तलवार ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पीएमएमएसवाई के अंतर्गत जिले की सबसे बड़ी बायोफ्लॉक मछली पालन इकाई की स्थापना की. इस योजना से मिली 40 प्रतिशत सब्सिडी और उत्तराखंड के मत्स्य पालन विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन हासिल करके उन्होंने पंगेसियस और सिंघी के 50 टैंक बनवाए.

एक अस्पताल टैंक के साथ पूरी हुई उनकी नर्सरी ने 50,000 पंगेसियस का उत्पादन किया. उन्होंने उत्तरी भारत में सजावटी मछलियों के पालन की भी शुरुआत की है. बायोफ्लॉक इकाई की स्थापना से न सिर्फ कपिल तलवार को फिर से आजीविका मिली, बल्कि इस पहल का यह परिणाम हुआ कि इसने उनके क्षेत्र के 7 लोगों (पांच पुरुष और दो महिलाओं) को भी अच्छी आजीविका के लिए सक्षम बनाया. मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से वह लंबे समय तक मत्स्य पालन के लिए ग्रामीण महिलाओं का मार्गदर्शन भी करते हैं. यह कहानी जमीनी स्तर पर जीवन में बदलाव की पीएमएमएसवाई की क्षमता का शानदार प्रदर्शन है.

इस योजना को अब 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है. वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने मौजूदा योजना के डिजाइन और फंडिंग के तौर-तरीके के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 तक पीएमएमएसवाई के विस्तार पर सहमति व्यक्त की. 22 जुलाई तक मत्स्य पालन विभाग ने Prime Minister मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 21,274.16 करोड़ रुपए की मत्स्य विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी. यह स्वीकृति State government ों, केंद्रशासित क्षेत्रों और विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों से प्राप्त प्रस्तावों पर आधारित है.

स्वीकृत राशि में से केंद्र का हिस्सा 9,189.79 करोड़ रुपए है. इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अब तक विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य एजेंसियों को 5,587.57 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं.

इस तरह पीएमएमएसवाई ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिससे विकास, स्थिरता और समावेशिता को बढ़ावा मिला है.

डीसीएच/एएस