गांधीनगर, 10 सितंबर . गुजरात विधानसभा ने फैक्ट्रियों (गुजरात संशोधन) विधेयक 2025 पारित कर दिया है, जिसके तहत अब महिलाएं अपनी सहमति से नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी. हालांकि, इसके लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी प्रावधानों को अनिवार्य किया गया है.
विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने कहा कि यह कदम महिलाओं को समानता, पेशे की स्वतंत्रता और आर्थिक अधिकार प्रदान करेगा. उन्होंने कहा, “सहमति आधारित नाइट ड्यूटी से महिलाएं अपने परिवार की आय में योगदान कर सकेंगी और दिन के समय परिवार को भी समय दे पाएंगी.”
कहा गया कि महिला कर्मचारी नाइट शिफ्ट में तभी काम कर पाएंगी, जब उनकी सहमति हो और सुरक्षा इंतजाम पूरे हों. दैनिक कार्य समय अधिकतम 12 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन साप्ताहिक सीमा 48 घंटे ही रहेगी. साथ ही, लगातार छह घंटे काम करने के बाद आधा घंटे का विश्राम अनिवार्य होगा.
वहीं, चार लगातार 12 घंटे की शिफ्ट पूरी करने पर कर्मचारियों को दो दिन का सवैतनिक अवकाश मिलेगा. तीन महीने की अवधि में अधिकतम 125 घंटे का ओवरटाइम संभव होगा, लेकिन इसके लिए पूर्व स्वीकृति जरूरी होगी. State government इन प्रावधानों की अवधि और लागू क्षेत्र तय करेगी तथा परिस्थितियों के अनुसार अनुमति वापस भी ले सकेगी.
मंत्री ने कहा कि ये सुधार श्रमिक कल्याण और औद्योगिक विकास के बीच संतुलन साधते हैं. गुजरात नए उद्योग और निवेश आकर्षित कर रहा है और लचीले श्रम प्रावधान 24 घंटे उत्पादन की जरूरत वाले क्षेत्रों में सहायक होंगे.
उन्होंने बताया कि महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए 16 विशेष प्रावधान अनिवार्य होंगे. खासतौर पर सेमीकंडक्टर और माइक्रोचिप जैसे उद्योग, जहां लगातार उत्पादन जरूरी है, इस कानून से लाभान्वित होंगे.
मंत्री ने कहा कि यह विधेयक संविधान में समानता के सिद्धांतों और गुजरात हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप है. उन्होंने कहा, “यह बिल महिलाओं को सुरक्षित वातावरण में अपनी इच्छा से नाइट शिफ्ट में काम करने का कानूनी अधिकार देता है.”
गौरतलब है कि यह विधेयक फैक्ट्रियों अधिनियम, 1948 की छह धाराओं में संशोधन करता है, जो कार्य घंटे, ओवरटाइम, विश्राम और महिलाओं के रोजगार से संबंधित हैं. विधानसभा में इसे रोजगार सृजन, निवेश आकर्षित करने और औद्योगिक माहौल बेहतर बनाने पर जोर देते हुए पारित किया गया.
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डीएससी/