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New Delhi, 9 सितंबर . भारतीय नौसेना प्रमुख, एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने New Delhi स्थित नौसेना मुख्यालय में कमांडर जे.पी. सिंह (सेवानिवृत्त) से मुलाकात की है. कमांडर जे.पी. सिंह मिशन समुद्रयान परियोजना के मुख्य पायलट हैं. समुद्रयान को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा डीप ओशन मिशन के तहत शुरू किया गया है. इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित किया जा रहा है.
यह India का पहला मानवयुक्त पनडुब्बी अभियान है. इस महत्वाकांक्षी मिशन का उद्देश्य स्वदेशी ‘मत्स्य 6000’ सबमर्सिबल के माध्यम से तीन सदस्यीय दल को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक भेजना है. मत्स्य 6000 India का एक मानवयुक्त पनडुब्बी सरीखा जलयान है. इसे गहरे महासागर में उतरने के उद्देश्य से राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित किया जा रहा है. यह जलयान तीन व्यक्तियों को समुद्र में 6,000 मीटर तक की गहराई तक ले जाएगा.
समुद्रयान मिशन के अंतर्गत इसमें सवार विशेषज्ञ 6,000 मीटर की गहराई में दुर्लभ खनिजों और जैव विविधता की खोज व अध्ययन करेंगे. इस उपलब्धि के साथ India उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल होगा जिनके पास इतनी गहराई तक मानवयुक्त अभियान की क्षमता है. दिल्ली में हुई इस बैठक के दौरान नौसेना प्रमुख को मिशन की प्रगति, विभिन्न परीक्षणों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और मुख्य पायलट की भूमिका के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई.
एडमिरल त्रिपाठी ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी की अग्रणी भूमिका और कमांडर जे.पी. सिंह के योगदान की सराहना की. उन्होंने समुद्रयान को India की महासागरीय सीमाओं की खोज की महत्वाकांक्षा और हमारे वैज्ञानिकों, अभियंताओं एवं नाविकों की अटूट भावना का जीवंत प्रतीक बताया.
उन्होंने आश्वस्त किया कि भारतीय नौसेना इस मिशन को हर संभव सहयोग प्रदान करेगी, क्योंकि यह न केवल गहरे समुद्र की खोज बल्कि महासागरीय संसाधनों के दोहन और अंडरवाटर इंजीनियरिंग में नवाचार को भी नई दिशा देगा. गौरतलब है कि भारतीय नौसेना प्रमुख, एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने हाल ही में Gujarat के लोथल में स्थित राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का भी दौरा किया था. नौसेना प्रमुख ने यहां पर कई महत्वपूर्ण नौसेनिक उपकरणों व अत्याधुनिक हथियारों के विशाल संग्रह का अवलोकन किया था.
इनमें युद्धपोत निशंक, आईएल-38 एसडी समुद्री टोही विमान, नौसैनिक हेलिकॉप्टर, सी हैरियर लड़ाकू विमान, नौसैनिक तोपें, लांचर, पी-21, ब्रह्मोस मिसाइल मॉडल, इंजन मॉडल, अंडरवॉटर चेरेट तथा सी ईगल मिसाइल सिस्टम शामिल रहे. उन्होंने यहां लोथल के ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल का भी भ्रमण किया था. दरअसल लोथल में स्थित राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा Gujarat Government और भारतीय नौसेना के सहयोग से विकसित किया जा रहा है.
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जीसीबी/एएस