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New Delhi, 7 सितंबर . साल 2000 में न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के सहस्त्राब्दी शिखर सम्मेलन में India के तत्कालीन Prime Minister अटल बिहारी वाजपेयी ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया. उन्होंने विश्व मंच पर हिंदी में भाषण देकर न केवल India की सांस्कृतिक पहचान को उभारा, बल्कि पड़ोसी देश Pakistan को भी कड़ा संदेश दिया था.
यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय Prime Minister ने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में अपनी बात रखी. इस भाषण ने न केवल India की भाषाई विविधता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि वैश्विक कूटनीति में India के आत्मविश्वास को भी प्रदर्शित किया.
अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व नेताओं के समक्ष शांति, सहयोग और वैश्विक एकता का आह्वान किया. उनके भाषण का मुख्य आकर्षण था India की शांति के प्रति प्रतिबद्धता और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख.
वाजपेयी ने बिना किसी लाग-लपेट के Pakistan पर निशाना साधा, जो उस समय सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कुख्यात था. उन्होंने कहा, “आतंकवाद किसी भी देश की सीमाओं का सम्मान नहीं करता. यह मानवता के खिलाफ अपराध है.” उनके शब्दों में दृढ़ता थी, जिसने India की स्थिति को स्पष्ट रूप से विश्व समुदाय के सामने रखा.
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण में कश्मीर मुद्दे पर भी India का पक्ष मजबूती से रखा. उन्होंने Pakistan को चेतावनी दी कि वह India के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करे और आतंकवाद को समर्थन देना छोड़ दे.
यह भाषण उस समय और भी महत्वपूर्ण हो गया, जब 1999 के कारगिल युद्ध के बाद India और Pakistan के बीच तनाव चरम पर था. वाजपेयी ने न केवल India की संप्रभुता की रक्षा की, बल्कि शांति की स्थापना के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
इस भाषण का एक और महत्वपूर्ण पहलू था हिंदी का प्रयोग. वैश्विक मंच पर अंग्रेजी के प्रभुत्व के बीच अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी में बोलना एक साहसिक और प्रतीकात्मक कदम था. इससे न केवल हिंदी भाषा को सम्मान मिला, बल्कि यह संदेश भी गया कि India अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करता है.
उनके शब्दों ने भारतीयों के दिलों में गर्व की भावना जगाई और विश्व समुदाय को India की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान से परिचित कराया. अटल बिहारी वाजपेयी का यह भाषण आज भी भारतीय कूटनीति के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है. यह न केवल India की वैश्विक छवि को मजबूत करने में सफल रहा, बल्कि यह भी दिखाया कि India अपनी शर्तों पर विश्व मंच पर अपनी बात रख सकता है.
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एकेएस/डीकेपी