ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ ‘मजबूत संबंध’ पर दिया जोर, ‘भारत को खोने’ वाली टिप्पणी पर बरती नरमी

वाशिंगटन, 6 सितंबर . अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप India को चीन के हाथों “खोने” संबंधी अपनी पिछली टिप्पणी से पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं.

Friday को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप से उनके इस बयान के बारे में पूछा गया कि क्या उन्होंने “India को चीन के हाथों खो देने” के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराया है.

उन्होंने जवाब दिया, “मुझे नहीं लगता कि हमने किसी को जिम्मेदार ठहराया है.”

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी Prime Minister Narendra Modi से अच्छी बनती है, लेकिन रूस से तेल खरीदने को लेकर वे India से “बहुत निराश” हैं. ट्रंप ने कहा, “India रूस से बहुत ज्यादा तेल खरीद रहा है. हमने India पर 50 प्रतिशत का बहुत भारी टैरिफ लगाया है.”

इसी से पहले Friday को ट्रंप ने social media प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर Prime Minister मोदी, चीन के President शी जिनपिंग और रूस के President पुतिन की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि India और रूस शायद चीन के साथ चले गए हैं. उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि हमने India और रूस को चीन के हाथों खो दिया है. अब वे साथ मिलकर लंबा और सुखद भविष्य बिताएं.

ट्रंप के प्रशासन और समर्थकों की ओर से हाल के दिनों में India के खिलाफ बयानबाजी बढ़ी है. व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने भी आरोप लगाया कि India की ऊंची टैरिफ नीतियों की वजह से अमेरिकी नौकरियां जा रही हैं.

ट्रंप की सहयोगी लॉरा लूमर ने एक्स पर दावा किया कि प्रशासन “अमेरिकी आईटी कंपनियों को अपना काम भारतीय कंपनियों को आउटसोर्स करने से रोकने पर विचार कर रहा है.”

ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि “अमेरिका बातचीत के लिए हमेशा तैयार है,” लेकिन उन्होंने India से कुछ शर्तें मानने की बात कही. उनका कहना था, “India को अपना बाजार खोलना होगा, रूसी तेल खरीदना बंद करना होगा और ब्रिक्स समूह से दूरी बनानी होगी. अगर India ऐसा नहीं करता तो उसे 50 प्रतिशत टैरिफ देना पड़ेगा.”

उन्होंने India के तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की बढ़ती हिस्सेदारी पर अमेरिका का विरोध भी जताया और इसे “सरासर गलत” बताया.

वहीं India की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया कि India अपनी जरूरत के अनुसार रूस से तेल खरीदता रहेगा. उन्होंने कहा, “हमें वही करना होगा जो हमारे हित में है. हम निस्संदेह रूस से तेल खरीदते रहेंगे.”

एएस/