नैनीताल, 5 सितंबर . सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन Friday को आस्था, भक्ति और उल्लास के साथ हुआ. मां नैना देवी मंदिर से शुरू हुई पारंपरिक डोला यात्रा ने पूरे शहर को मां के जयकारों से गुंजायमान कर दिया.
मंदिर परिसर से प्रारंभ हुई यह यात्रा मल्लीताल, लोअर माल रोड, तल्लीताल बाजार और चीना बाबा मंदिर होते हुए पुनः नैना देवी मंदिर पहुंची. भक्त नाच-गाकर और जयकारों के साथ मां को विदाई देने में शामिल हुए, जिसने माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया.
महोत्सव के अंतिम दिन सुबह से ही मां के दर्शन और विदाई के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. नैनीताल के साथ-साथ हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर और रुद्रपुर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे. कुमाऊं के विभिन्न शहरों से आए बैंड-बाजों और छोलिया नृत्य दलों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से समां बांध दिया.
इस वर्ष महोत्सव का विशेष आकर्षण रहा पिथौरागढ़ से आई सांस्कृतिक टीम का लखिया भूत नृत्य. पारंपरिक वेशभूषा और लोकधुनों से सजी इस प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
जिला पर्यटन विकास विभाग द्वारा आयोजित इस नाट्य प्रस्तुति का नेतृत्व कर रहे कैलाश जोशी ने बताया कि लखिया भूत को मां नंदा का रक्षक माना जाता है, जिसे डोले के आगे भ्रमण कराया जाता है.
उन्होंने कहा कि इस परंपरा की शुरुआत पिथौरागढ़ में नेपाल के राजा द्वारा दी गई लखिया भूत की मूर्ति से हुई, जिसे बांधकर रखा जाता है ताकि वह वापस न जाए.
स्थानीय लोगों में महोत्सव को लेकर अपार उत्साह देखा गया. स्थानीय सभासद जितेंद्र पांडे ने बताया कि न केवल नैनीताल, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी लोग मां नंदा-सुनंदा के दर्शन के लिए उमड़े.
स्थानीय निवासी आभा साह ने कहा, “मां नंदा-सुनंदा का त्योहार साल में एक बार आता है, जिसका बेसब्री से इंतजार रहता है.”
वहीं दीपा रौतेला ने बताया कि सुबह बारिश के बावजूद मौसम सुहावना रहा, जिससे लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे. उन्होंने मां की विदाई के दुख के साथ अगले वर्ष के इंतजार की बात कही.
श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए. एसपी क्राइम डॉ. जगदीश चंद्रा ने बताया कि दोपहर 12 बजे शुरू हुई शोभा यात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई. करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया, जो भीड़ नियंत्रण और चोरों पर नजर रखने में मुस्तैद रहे. फायर और पुलिस वाहन यात्रा के साथ चले, जबकि नैनी झील में एसडीआरएफ की टीम तैनात रही. ड्रोन के माध्यम से भी निगरानी रखी गई.
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एकेएस/डीएससी