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रांची, 5 सितंबर . शिक्षक दिवस के अवसर पर जहां देशभर में शिक्षकों का सम्मान हो रहा है, वहीं Jharkhand में वित्तरहित शिक्षक अपनी मांगों को लेकर राजभवन के समक्ष धरने पर बैठे हैं.
हजारों की संख्या में शिक्षक और शिक्षिकाएं अपनी दो सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. वित्तरहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा महासंघ के नेतृत्व में आयोजित इस धरने में शिक्षकों ने Government पर उदासीनता और ठगने का आरोप लगाया है.
उनकी मांग है कि 75 प्रतिशत अनुदान वृद्धि के प्रस्ताव को तत्काल कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा जाए और कार्मिक, प्रशासनिक एवं भाषा सुधार विभाग द्वारा स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को लिखे पत्र पर शीघ्र कार्रवाई हो.
वित्तरहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा महासंघ के महासचिव रघुनाथ सिंह ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब President, Governor, Prime Minister और Chief Minister तक शिक्षकों को सम्मानित कर रहे हैं, तब Jharkhand के वित्तरहित शिक्षक सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं. Government की मंशा ठीक नहीं है. पिछले पांच वर्षों से हमारी मांगें लंबित हैं. Government वित्तरहित शिक्षकों को छल रही है और इन संस्थानों को बंद करने की साजिश रच रही है. हमारी मांग है कि 75 प्रतिशत अनुदान वृद्धि के प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाए और हमें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए.”
वित्तरहित शिक्षक मंडल के सचिव अरविंद सिंह ने कहा, “शिक्षक दिवस पर जहां देशभर में शिक्षकों का सम्मान हो रहा है, वहीं Jharkhand में हम अपनी मांगों को लेकर राजभवन के सामने धरने पर हैं. यह Government की उदासीनता का परिणाम है. हमारी दो प्रमुख मांगें हैं- पहली, 75 प्रतिशत अनुदान वृद्धि का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाए, और दूसरी, हमें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए.”
उन्होंने आगे कहा कि Government की नीतियों के कारण वित्तरहित शिक्षकों का भविष्य अधर में लटका है. वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत हजारों शिक्षक और शिक्षिकाएं न्यूनतम संसाधनों में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं, लेकिन Government उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही. यदि हम लोगों की मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो हम लोग आंदोलन को और तेज करेंगे. यह धरना एक दिन का है, लेकिन यदि Government की अनदेखी जारी रही, तो हम लोगों को अनिश्चितकालीन प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
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एकेएस/डीएससी