देवांग गांधी : वो खिलाड़ी, जिसने हर परिस्थिति में क्रिकेट और देश के लिए दिया अपना बेस्ट

New Delhi, 5 सितंबर . देवांग गांधी भारतीय क्रिकेट के ऐसे नायक रहे, जिन्होंने अपने दमदार खेल से सभी का ध्यान खींचा. दाहिने हाथ के बल्लेबाज के रूप में उन्होंने घरेलू क्रिकेट में खूब रन बनाए और टीम इंडिया की जर्सी पहनने का सपना भी पूरा किया, लेकिन चार टेस्ट में दो अर्धशतक जड़ने के बावजूद उनका अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा लंबा न रहा.

6 सितंबर 1971 को गुजरात के भावनगर में जन्मे देवांग गांधी ने 1994/95 में बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट खेलना शुरू किया.

देवांग एक बेहतरीन बल्लेबाज थे. उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बंगाल के लिए कई मैच जिताऊ पारियां खेलीं. यही वजह रही कि उन्हें अक्टूबर 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला.

मोहाली में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी के लिए उतरी. देवांग को सदागोप्पन रमेश के साथ सलामी बल्लेबाज के तौर पर उतारा गया, लेकिन 13 गेंदों का सामना करने के बाद अगली गेंद पर अपना कैच विकेटकीपर एडम परोरे को थमा बैठे.

भारत की यह पारी महज 83 रन पर सिमट गई. ऐसा लग रहा था कि मेहमान टीम आसानी से मुकाबला जीत लेगी, लेकिन जवागल श्रीनाथ ने छह विकेट चटकाते हुए न्यूजीलैंड की पहली पारी 215 रन पर समेट दी.

देवांग गांधी को अपनी डेब्यू पारी में खाता न खोल पाने का मलाल था, लेकिन अगली पारी में उन्होंने यह कसर पूरी कर दी. गांधी एक बार फिर बतौर सलामी बल्लेबाज उतरे और सदागोप्पन रमेश के साथ पहले विकेट के लिए 137 रन की साझेदारी की.

देवांग ने इस पारी में 242 गेंदों का सामना किया और 75 रन बनाए, जिसमें छह चौके भी शामिल थे. रमेश ने 73 रन की पारी खेली. इसके बाद राहुल द्रविड़ ने 144 और कप्तान सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 126 रन बनाए. सौरव गांगुली 64 रन बनाकर नाबाद रहे. भारत ने दूसरी 505/3 के स्कोर पर घोषित की और अंत में मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुआ.

न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट की पहली पारी में देवांग ने एक बार फिर अर्धशतक जड़ा. उन्होंने 186 गेंदों में 88 रन की पारी खेलते हुए सदागोप्पन के साथ पहले विकेट के लिए 162 रन जुटाए. भारत ने यह मुकाबला 8 विकेट से जीता.

इस सीरीज में देवांग ने तीन टेस्ट की सात पारियों में 200 रन बनाए. शानदार प्रदर्शन के चलते उन्हें 1999-2000 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुना गया.

इस बल्लेबाज को एडिलेड टेस्ट में ओपनिंग का मौका मिला, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिच पर वह पहली पारी में चार रन बनाने के बाद अगली पारी में खाता खोले बगैर ही पवेलियन लौट गए. इस दौरे पर दो वनडे मुकाबले भी खेले गए, जिसमें देवांग दो मैचों में महज 19 ही रन जुटा सके. नतीजा यह रहा कि देवांग को टीम से बाहर कर दिया गया. फिर कभी उन्हें मौका न मिला.

देवांग गांधी ने चार टेस्ट मैचों में 34 की औसत के साथ कुल 204 रन बनाए, जबकि तीन वनडे मुकाबलों में 16.33 की औसत के साथ महज 49 रन ही जोड़ सके.

घरेलू स्तर पर शानदार प्रदर्शन करने वाले इस बल्लेबाज ने 95 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 42.73 की औसत के साथ 6,111 रन जुटाए. इस दौरान उनके बल्ले से 16 शतक और 27 अर्धशतक निकले.

98 लिस्ट-ए मुकाबलों में उन्होंने 39.55 की औसत के साथ 3,402 रन बनाए, जिसमें 9 शतक और 16 अर्धशतक शामिल रहे. देवांग गांधी की कप्तानी में ईस्ट जोन ने 2004 में देवधर ट्रॉफी जीती. साल 2006 में इस बल्लेबाज ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास ले लिया.

भले ही देवांग गांधी का अंतरराष्ट्रीय सफर लंबा न रहा, लेकिन खेल के प्रति उनका समर्पण कभी कम न हुआ. क्रिकेट से संन्यास के बाद उन्होंने भारतीय क्रिकेट की सेवा जारी रखी और राष्ट्रीय चयन समिति के सदस्य बनकर कई युवा खिलाड़ियों के सपनों को उड़ान दी.

आरएसजी/एएस