आदेश श्रीवास्तव का म्यूजिकल सफर और किस्मत बदलने वाला गाना

Mumbai , 3 सितंबर . भारतीय फिल्म संगीत की दुनिया में कुछ संगीतकार ऐसे हुए हैं जिनकी धुनें और गीत सीधे दिल को छू जाते हैं. इन्हीं में से एक थे आदेश श्रीवास्तव, जिनकी संगीत यात्रा संघर्ष, दृढ़ता और कला के प्रति असीम प्रेम की कहानी है. एक ऐसे दौर में जब संगीत उद्योग में प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर थी, आदेश ने अपनी अनूठी शैली और भावुक कर देने वाली धुनों से अपनी एक खास पहचान बनाई. 

वे सिर्फ एक संगीतकार नहीं थे, बल्कि एक ऐसे कलाकार थे जो अपनी कला को जीवन की सच्चाइयों और भावनाओं से जोड़कर देखते थे. उनके संगीत में जहां ‘शावा-शावा’ जैसा पार्टी एंथम था, वहीं ‘मैं यहां तू वहां’ जैसी दिल को छू लेने वाली धुनें भी थीं. आदेश श्रीवास्तव ने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया कि प्रतिभा और जुनून के दम पर कोई भी कलाकार सफलता के शिखर को छू सकता है.

उनके इसी जज्बे से जुड़ा किस्सा हम आपके लिए लेकर आए हैं. पहली ही फिल्म की रिकॉर्डिंग के दौरान एक रिकॉर्डिस्ट ने उन्हें जमकर लताड़ा था, लेकिन इसे भी आदेश श्रीवास्तव ने एक सीख की तौर पर लिया और खुद को साबित किया.

दरअसल, आदेश श्रीवास्तव ने संगीत की दुनिया में कदम रखने से पहले एक रिकॉर्डिंग असिस्टेंट के तौर पर सालों तक काम किया. जब उन्हें अपनी पहली फिल्म ‘खतरा’ का संगीत बनाने का मौका मिला, तो वह बहुत उत्साहित थे, लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि एक संगीतकार के तौर पर काम करना कितना अलग होता है.

एक दिन वह अपनी पहली फिल्म के एक गाने की रिकॉर्डिंग के लिए स्टूडियो पहुंचे. उन्होंने अपनी टीम को बुलाया और रिकॉर्डिंग शुरू करने की कोशिश की. तभी, स्टूडियो के रिकॉर्डिस्ट ने उन्हें बीच में ही रोक दिया.

रिकॉर्डिस्ट ने तीखे शब्दों में कहा, “सर, आपको पता नहीं है कि रिकॉर्डिंग कैसे की जाती है. आपके पास कोई तैयारी नहीं है. आप पहले सीखकर आइए, फिर रिकॉर्डिंग कीजिएगा.”

यह सुनकर आदेश श्रीवास्तव का दिल टूट गया. वह चुपचाप स्टूडियो से बाहर आ गए. इस अपमान ने उन्हें तोड़ दिया, पर वह निराश होकर बैठे नहीं रहे. उन्होंने घर जाकर हर संगीत उपकरण को समझा, संगीतकारों की भूमिकाओं का अध्ययन किया, और यह सीखा कि एक गीत को रिकॉर्ड करने के लिए क्या-क्या तैयारी करनी पड़ती है.

अगले दिन वह पूरी तैयारी के साथ वापस उसी स्टूडियो में गए. इस बार उन्होंने हर संगीतकार को उसकी भूमिका साफ-साफ समझाई और हर बीट व हर सुर को सही जगह पर रखा. उनकी लगन और पेशेवर तरीके को देखकर वही रिकॉर्डिस्ट हैरान रह गया.

उसने आदेश के पास आकर माफी मांगी और कहा, “आज आप एक कलाकार की तरह काम कर रहे हैं.”

यही नहीं, इसके बाद जब एक बार फिर किस्मत ने उन्हें धोखा दिया और उनका करियर पटरी पर नहीं था, तब भी उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर वापसी की. करियर की शुरुआत में आदेश श्रीवास्तव की कुछ फिल्में असफल रहीं और उनके संगीत को भी नोटिस नहीं किया गया. उन्हें एक बड़ी हिट की सख्त जरूरत थी. इसी समय उन्हें 1994 की फिल्म ‘आओ प्यार करें’ में संगीत देने का मौका मिला.

इस फिल्म का एक गाना था “हाथों में आ गया जो कल रुमाल आपका” आदेश श्रीवास्तव ने इस गाने को एक ऐसी धुन बनाई जो बहुत ही कैची और मनोरंजक थी. फिल्म के रिलीज होने से पहले ही यह गाना रेडियो पर छा गया. इसकी धुन लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गई और यह एक बहुत बड़ा हिट बन गया.

जब फिल्म रिलीज हुई, तो लोग सिनेमाघरों में खासकर यह गाना देखने और सुनने के लिए गए. इस गाने की सफलता ने आदेश श्रीवास्तव को रातों रात एक पहचान दिलाई और बेहतरीन संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया. इस हिट के बाद उन्हें लगातार काम मिलने लगा. उन्होंने कई बड़े अभिनेताओं और निर्देशकों के साथ काम किया और फिल्म इंडस्ट्री में अपना एक अलग मुकाम बनाया. इन दोनों ही किस्सों का जिक्र आदेश श्रीवास्तव पर जारी किए गए इंटरव्यू में किया गया था.

जेपी/जीकेटी