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Mumbai , 3 सितंबर . मराठा समाज को ‘कुणबी’ का दर्जा देने और उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ देने के फैसले पर Maharashtra की सियासत गरमा गई है. Tuesday को Government द्वारा हैदराबाद गजट के आधार पर जारी किए गए जीआर पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. राज्य के उपChief Minister एकनाथ शिंदे ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा, “ओबीसी समुदाय के हितों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा.”
इस बीच, हैदराबाद गजट में मराठों को ‘कुणबी का दर्जा’ और आरक्षण दिए जाने पर उपChief Minister एकनाथ शिंदे ने कहा, “ओबीसी समुदाय को कोई नुकसान नहीं होगा; Government का शुरू से यही रुख रहा है. हैदराबाद राजपत्र और हाल ही में जारी जीआर ओबीसी समुदाय के लिए कोई बाधा उत्पन्न नहीं करेगा.”
उन्होंने आगे कहा, “जिसके पास 1967 के पहले ‘कुणबी’ प्रमाणपत्र होगा उसी को ओबीसी सर्टिफिकेट मिलेगा. पूरी तरह नियम को ध्यान में रखते हुए Tuesday को जीआर जारी किया गया.”
वहीं दूसरी ओर मराठा आरक्षण के संबंध में अदालतों में याचिकाएं दायर करने वाले कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने कहा, “जब मैंने Government द्वारा जारी किए जीआर को पढ़ा, तो मेरे मन में एक विचार आया, Maharashtra में मौजूद सबसे पहला कानून वही कानून है जो इस कागज पर लिखा गया है.”
कार्यकर्ता पाटिल ने कहा कि Government से मेरा सवाल है कि अगर यह दस्तावेज जारी किया गया है, तो Government को हमें यह बताना चाहिए था कि इस कागज का उद्देश्य क्या है, हम वास्तव में इसके माध्यम से जाति प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त करेंगे और यह कागज क्या लाभ प्रदान करेगा.
कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने आगे कहा कि इसका जवाब Government को देना चाहिए. Government इसका जवाब दे. हम क्यों आपस में लड़ाई करें? Government जवाब दे और समाधान करे. हमें समझाकर बोले कि इस कागज का क्या अर्थ है.
विनोद पाटिल ने साफ तौर पर कहा, “यह कागज का टुकड़ा हमारे काम का नहीं है.”
उन्होंने आगे कहा, “मैं मनोज जरांगे पाटिल का स्वागत करूंगा कि उन्होंने Mumbai में जाकर बड़ी संख्या में मराठा समाज को इकट्ठा करने का काम किया और आंदोलन किया.”
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वीकेयू/एएस