नालंदा विश्वविद्यालय नहीं, शांति-एकता और अध्यात्म का शाश्वत दीपस्तंभ है : भूटान पीएम

राजगीर, 3 सितंबर . India के दौरे पर आए भूटान के Prime Minister शेरिंग टोबगे अपनी धर्मपत्नी तथा उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बिहार के राजगीर स्थित नालंदा विश्वविद्यालय पहुंचे. विश्वविद्यालय के कुलपति सचिन चतुर्वेदी ने उनका स्वागत किया. भूटान के Prime Minister दशो शेरिंग टोबगे ने अपनी धर्मपत्नी और प्रतिनिधिमंडल के साथ राजगीर और नालंदा आने पर प्रसन्नता व्यक्त की. उन्होंने India Government, बिहार Government और नालंदा विश्वविद्यालय को स्नेहपूर्ण आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया.

उन्होंने कहा, “अल-अजहर, बोलोनिया, ऑक्सफोर्ड और पेरिस जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों से भी बहुत पहले, नालंदा महाविहार लगभग 2000 वर्षों तक विश्व का सबसे प्रमुख उच्च शिक्षा केंद्र रहा. यह केवल एक विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विद्या और अध्यात्म का विशाल नगर था, जहां 10,000 से अधिक छात्र और विद्वान एक साथ निवास करते थे.”

उन्होंने कहा कि आज का नालंदा विश्वविद्यालय विविधतापूर्ण छात्र-शिक्षक समुदाय के माध्यम से उसी ऐतिहासिक परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. उन्होंने छात्रवृत्ति, शैक्षणिक आदान-प्रदान और सांस्कृतिक साझेदारी को मजबूती देने का प्रस्ताव रखा तथा नालंदा विश्वविद्यालय को भूटान में नवंबर में आयोजित होने वाले ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल में भाग लेने का आमंत्रण दिया.

Prime Minister टोबगे ने नालंदा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “नालंदा केवल अतीत का विश्वविद्यालय नहीं है-यह शांति, एकता और अध्यात्म का शाश्वत दीपस्तंभ है, जो आज भी विश्व को प्रेरित करता है.”

अपने संबोधन में उन्होंने आगे बताया, “भूटान विश्व का एकमात्र वज्रयान बौद्ध राज्य है और हम नालंदा की उस ऐतिहासिक भूमिका को गहराई से स्मरण करते हैं जिसने हमारी परंपराओं को आकार दिया. भविष्य में नालंदा के साथ हमारे सहयोग इस बंधन को और मजबूत करेंगे.”

इस अवसर पर छात्रों के साथ संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालय ने एक प्रतियोगिता भी आयोजित की, जिसमें 50 से अधिक प्रश्न प्राप्त हुए. इनमें से चुने गए प्रश्न भूटान के Prime Minister से पूछे गए, जिसका उन्होंने बहुत ही गर्मजोशी से उत्तर दिया.

नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चतुर्वेदी ने इस मौके पर विश्वविद्यालय की एकता की दर्शन की अवधारणा को रेखांकित किया. प्रकृति के साथ एकता, विकास और स्थिरता के बीच संतुलन, तथा शांति एवं संघर्ष-रहित सह-अस्तित्व का मार्ग बताया. उन्होंने इसे सतत विकास के लक्ष्यों तथा Prime Minister Narendra Modi के लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट के आह्वान से जोड़ा.

उन्होंने भूटान के सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता के दर्शन का उल्लेख करते हुए बताया कि नालंदा भी सुख और कल्याण के अकादमिक मापदंडों पर शोध कर रहा है. उन्होंने भूटान की माइंडफुलनेस सिटी पहल की तुलना नालंदा की ध्यान-आधारित शिक्षा परंपरा से की.

एमएनपी/एसके