Lucknow, 2 सितंबर . अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं पर एक दिन पूर्व बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्विद्यालय में हुए पुलिस लाठीचार्ज की घटना का Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है. उनके निर्देश पर सीओ हर्षित चौहान को हटाने के साथ पूरे मामले की जांच आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार को सौंपी गई है.
मंडलायुक्त अयोध्या को रामस्वरूप विश्वविद्यालय बाराबंकी की डिग्री की वैधता की जांच के आदेश भी दिए गए हैं. मामले की शाम तक रिपोर्ट मांगी गई है.
एक दिन पूर्व राम स्वरूप विश्वविद्यालय में अभाविप कार्यकर्ताओं और छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से लगातार की जा रही अवैध वसूली और लॉ कोर्स की संबद्धता बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से नहीं होने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया था.
प्रदर्शन को देखते हुए विवि प्रशासन ने मौके पर पुलिस बुलाकर बाहरी छात्र होने की बात कही थी. इस दौरान पुलिस ने पहले प्रदर्शन को शांत करने का प्रयास किया. इसके बाद छात्रों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया गया था. इसमें कई कार्यकर्ता चोटिल हो गए थे.
अभाविप अवध प्रांत के प्रदेश मंत्री पुष्पेंद्र बाजपेयी ने बताया कि विश्वविद्यालय में लंबे समय से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां की लॉ डिग्री की मान्यता नहीं है. ऐसे में लॉ छात्रों के साथ धोखा किया गया है.
उनका कहना था कि साल 2022 से विधि विभाग की बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से संबद्धता के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है. इससे छात्रों को फर्जी झांसा देकर उनके भविष्य को अंधकार में धकेला जा रहा है. जब छात्रों ने आवाज उठाई तो आदर्श पांडे और अभय राम त्रिपाठी को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया. जब इन मुद्दों पर बात करने के लिए अभाविप का प्रतिनिधिमंडल कुलपति डॉ. विकास मिश्रा से मिलने उनके कार्यालय गया, तो कुलपति ने छात्रों से संवाद करने के बजाय पुलिस बल का प्रयोग किया. कुलपति के कहने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
विश्वविद्यालय के कुलपति विकास मिश्रा ने बताया कि घटना में विश्वविद्यालय का कोई लेना-देना नहीं है. यह पूरा मामला स्थानीय लोगों और एबीवीपी के बीच का है. परिषद के लोगों ने बाहर से ताला बंद कर दिया. बच्चों ने अपने अभिभावकों को बुलाया था. इसी दौरान उन लोगों की आपस में झड़प हो गई. इसमें विश्वविद्यालय का कोई कर्मचारी शामिल नहीं है.
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विकेटी/एबीएम