काबुल, 28 अगस्त . संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने कहा है कि इस साल ईरान और पाकिस्तान से 23 लाख से अधिक अफगान शरणार्थी अफगानिस्तान लौट चुके हैं. एजेंसी ने चेतावनी दी है कि लौटे हुए इन शरणार्थियों को गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है.
यूएनएचसीआर ने Thursday को कहा कि अफगान शरणार्थी ऐसे देश लौट रहे हैं, जो उन्हें संभालने के लिए तैयार नहीं है. एजेंसी ने social media पर साझा संदेश में लिखा, “दुनिया अब अफगानों से मुंह नहीं मोड़ सकती.”
मानवीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि मजबूरन लौटे अफगान शरणार्थी गरीबी, बेरोज़गारी, आवास की कमी और शिक्षा तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता, विशेषकर महिलाओं व लड़कियों पर कड़ी पाबंदियों जैसी समस्याओं से जूझेंगे.
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि शरणार्थियों को ऐसे देश भेजा जा रहा है जिसके शासकों पर मानवाधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन के आरोप हैं.
इसी बीच पाकिस्तान ने 1 सितंबर तक उन एक मिलियन से अधिक अफगानों को देश छोड़ने की अंतिम तिथि तय की है जिनकी अस्थायी निवास अनुमति समाप्त हो चुकी है. इससे जबरन विस्थापन और बढ़ते मानवीय संकट को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई हैं.
यूएनएचसीआर ने पहले भी पाकिस्तान से आग्रह किया था कि वह कमजोर और संवेदनशील अफगान शरणार्थियों को निर्वासित न करे. एजेंसी ने कहा कि महिलाओं, लड़कियों और बीमार लोगों की जबरन वापसी उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के समान होगी.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने पाकिस्तान से छात्रों और चिकित्सा देखभाल की जरूरत वाले लोगों को निर्वासन से छूट देने की अपील की है. साथ ही, उसने पाकिस्तान सरकार द्वारा एक महीने की मोहलत देने का स्वागत किया, लेकिन कहा कि इस अवधि का इस्तेमाल अफगान शरणार्थियों के मामलों की व्यक्तिगत समीक्षा कर मानवीय सिद्धांतों का पालन करने के लिए होना चाहिए.
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डीएससी/