प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को मिलेगी नई दिशा

New Delhi, 28 अगस्त . Prime Minister Narendra Modi 30 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे. इस दौरान उनकी चीनी President शी जिनपिंग के साथ मुलाकात होगी, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम होगा.

India और चीन ने 1 अप्रैल 1950 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. लेकिन 1962 के सीमा संघर्ष ने इन संबंधों को झटका दिया. 1988 में तत्कालीन Prime Minister राजीव गांधी की चीन यात्रा ने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की शुरुआत की. इसके बाद 2003 में Prime Minister अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा ने विशेष प्रतिनिधि प्रणाली का गठन किया और इसके बाद 2005 में चीनी Prime Minister वेन जियाबाओ की India यात्रा ने रणनीतिक और सहयोगात्मक साझेदारी को बढ़ावा दिया.

2014 में President शी जिनपिंग की India यात्रा ने घनिष्ठ विकासात्मक साझेदारी की नींव रखी, जबकि 2015 में Prime Minister मोदी की चीन यात्रा ने इस गति को बनाए रखा. दोनों देशों ने 2018 में वुहान और 2019 में चेन्नई में अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों के जरिए आपसी विश्वास बढ़ाया. हालांकि, 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव ने संबंधों को प्रभावित किया. 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और जिनपिंग की मुलाकात से रिश्ते और बेहतर हुए.

इस यात्रा से पहले भी दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय मुलाकातें होती रही हैं. 2016 में जी20 हांग्जो और ब्रिक्स गोवा, 2017 में ब्रिक्स ज़ियामेन, 2018 में एससीओ क़िंगदाओ और 2019 में एससीओ बिश्केक और जी20 ओसाका जैसे आयोजनों में दोनों देशों के नेता मिले. 2022 में जी20 बाली में भी संक्षिप्त बातचीत हुई.

सीमा विवाद के समाधान के लिए 2003 से विशेष प्रतिनिधि प्रणाली के तहत 24 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं. हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने India का दौरा कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री से मुलाकात की. परामर्श और समन्वय तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 27 बैठकें और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की 19 बैठकें हो चुकी हैं, जिनका फोकस 2020 से लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर है. जल संसाधन सहयोग के लिए 2006 से विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) काम कर रहा है, जिसकी 14 बैठकें हो चुकी हैं. उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग बढ़ाने का एक और अवसर होगी.

एसएचके/केआर