अगरतला, 27 अगस्त . Enforcement Directorate (ईडी), अगरतला सब जोनल ऑफिस ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत त्रिपुरा के उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ चल रही जांच के सिलसिले में कई राज्यों में रेड मारी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली, त्रिपुरा, Haryana और पश्चिम बंगाल स्थित विभिन्न परिसरों में तलाशी अभियान चलाया.
पश्चिम बंगाल की Police ने उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ First Information Report दर्ज की थी. इसके आधार पर ईडी ने जांच शुरू की. इस जांच में पता चला कि उसने ऐसी संस्थाओं का एक जाल बिछा रखा था जिनके नाम Governmentी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों जैसे उच्च शिक्षा निदेशालय, त्रिपुरा, ब्रिज एंड रूफ कंपनी और भारतीय परिधान परिषद निदेशालय से मिलते-जुलते थे. प्रतिष्ठित Governmentी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों से मिलते-जुलते संस्थाओं या कंपनियों के नाम शामिल करके उसने जनता को ऐसी नकली संस्थाओं में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया.
उत्पल कुमार चौधरी ने India Government में उच्च पदस्थ अधिकारी होने का ढोंग रचा और Governmentी ऋण प्राप्त करने के झूठे आश्वासन के आधार पर कई लोगों को धोखा दिया. वह खुद को त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय का प्रमुख बताता था और त्रिपुरा से छात्रों को उनके संस्थानों में भेजने का वादा करके कई शिक्षण संस्थानों को धोखा दिया. साथ ही उसने त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में भोजन का टेंडर देने का झूठा वादा करके कई व्यक्तियों को भी धोखा दिया.
आरोपी ने धोखाधड़ी से विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के तहत पंजीकृत चलतखाली स्वामीजी सेवा संघ नामक एक गैर Governmentी संगठन को अपने नियंत्रण में लिया और लोगों के कालेधन को सफेद करने के लिए उसका बैंक खाता खोला.
जांच में यह पाया गया कि ऐसे बैंक खातों में लेनदेन के माध्यम से धन की लूट की गई. प्राथमिक जांच से पता चलता है कि चलतखाली स्वामीजी सेवा संघ के माध्यम से Haryana, कोलकाता और दिल्ली स्थित विभिन्न संस्थाओं को किराए के बैंक खातों के माध्यम से रबर के फर्जी कारोबार के नाम पर 200 करोड़ रुपए से अधिक की लूट की गई है. उत्पल कुमार चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा त्रिपुरा समेत कई राज्यों में दिखाया गया रबर का कारोबार फर्जी पाया गया, क्योंकि रबर की वास्तविक बिक्री या खरीदी का कोई रिकॉर्ड नहीं था. सिर्फ कागजों पर ही बिक्री या खरीद दिखाई गई थी. रबर के सामान के परिवहन का भी कोई विवरण नहीं मिला.
ट्रस्ट का उपयोग उपरोक्त संस्थाओं को प्रविष्टियां देने के लिए किया गया था और कई मामलों में आय को वैध बनाने के बाद भारी मात्रा में नकद निकासी की गई है. उत्पल कुमार चौधरी की त्रिपुरा Government के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घनिष्ठता थी, जो उसे विभिन्न व्यापारियों से उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में परिचित कराते थे. व्यापारियों के साथ इस तरह की जान-पहचान के माध्यम से उसने उन्हें विभिन्न Governmentी ठेके दिलाने के झूठे वादे करके ठगा था. पूछताछ में पता चला कि त्रिपुरा Government के ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों को बड़ी रकम का भुगतान किया गया था.
तलाशी के दौरान विभिन्न डिजिटल और फिजिकल साक्ष्य, त्रिपुरा Government के विभिन्न विभागों जैसे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता विभाग, उच्च शिक्षा निदेशालय, प्राथमिक विद्यालय, अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के स्टाम्प और गृह मंत्रालय, India Government के फर्जी पहचान पत्र बरामद किए गए और उन्हें जब्त कर लिया गया. इसके अलावा, 7 लाख रुपए की नकदी जब्त की गई और लगभग 60 लाख रुपए की कुल शेष राशि वाले बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया. त्रिपुरा के विभिन्न स्थानों में अचल संपत्ति और भूमि में निवेश के संबंध में आपत्तिजनक साक्ष्य मिले हैं. उत्पल कुमार चौधरी वर्तमान में Haryana जेल में हैं.
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डीकेपी/