भारत पीपीपी में 2038 तक बन सकती है दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था : रिपोर्ट

New Delhi, 27 अगस्त . क्रय शक्ति समता (पीपीपी) में भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. यह जानकारी Wednesday को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई.

क्रय शक्ति समता एक आर्थिक सिद्धांत है जो विभिन्न देशों में वस्तुओं और सेवाओं की एक मानक टोकरी की लागत की तुलना करके मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य को मापता है.

आईएमएफ के अनुमानों पर आधारित ईवाई रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर (पीपीपी के संदर्भ में) तक पहुंच सकती है, जो अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान से बेहतर स्थिति है.

सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत 2025 में 28.8 वर्ष की औसत आयु और दूसरी सबसे ऊंची बचत दर के साथ सबसे आगे है.

सरकार का डेट-टू-जीडीपी अनुपात 2024 के 81.3 प्रतिशत से घटकर 2030 तक 75.8 प्रतिशत होने का अनुमान है.

रिपोर्ट के अनुसार, चीन 2030 तक अनुमानित 42.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (पीपीपी) के साथ सबसे आगे होगा, लेकिन उसकी वृद्ध होती जनसंख्या और बढ़ता ऋण उसके लिए प्रमुख चुनौतियां हैं.

अमेरिका अभी भी मजबूत बना हुआ है, लेकिन उसे जीडीपी के 120 प्रतिशत से अधिक के ऋण स्तर और धीमी विकास दर का सामना करना पड़ रहा है.

ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी और जापान, हालांकि एडवांस अर्थव्यवस्थाएं हैं, उच्च मध्य आयु और वैश्विक व्यापार पर भारी निर्भरता के कारण विकास सीमित रहेगा.

दूसरी ओर, भारत में युवा जनसांख्यिकी, बढ़ती घरेलू मांग और एक स्थायी राजकोषीय दृष्टिकोण है.

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव के अनुसार, भारत की तुलनात्मक शक्तियां, इसका युवा और कुशल कार्यबल, मजबूत बचत और निवेश दरें, और अपेक्षाकृत टिकाऊ ऋण प्रोफाइल अस्थिर वैश्विक परिवेश में भी उच्च विकास दर को बनाए रखने में मदद करेंगे.

भारत के 2028 तक बाजार विनिमय दर के संदर्भ में जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का भी अनुमान है.

देश की प्रगति की गति न केवल जनसांख्यिकी, बल्कि संरचनात्मक सुधारों और मजबूत आधार द्वारा भी सुदृढ़ होती है.

एबीएस/