चेन्नई: 29 साल बाद बैंक धोखाधड़ी मामले में फैसला, ब्रांच मैनेजर समेत 4 को सजा

चेन्नई, 27 अगस्त . 10 करोड़ रुपए से अधिक के बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई अदालत ने करीब 29 साल बाद फैसला दिया है. इस मामले में बैंक के ब्रांच मैनेजर समेत 4 लोगों को दोषी ठहराया गया है. साथ ही, अदालत ने दोषसिद्धि का फैसला देते हुए सजा का ऐलान किया. सीबीआई ने Wednesday को यह जानकारी दी.

सीबीआई ने 30 अक्टूबर 1996 को चेन्नई के नुंगमबक्कम इलाके में स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की ओर से एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि जी. वेंकटेश्वरन नाम के एक व्यक्ति समेत कुछ अन्य लोगों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों के साथ मिलकर 1988 से 1992 के दौरान षड्यंत्र रचा. इसके तहत, सुजाता फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड और जीवी फिल्म्स लिमिटेड के नाम पर क्रेडिट सुविधाएं और टर्म लोन का लाभ उठाया.

सीबीआई के अनुसार, इन कंपनियों का प्रतिनिधित्व जी. वेंकटेश्वरन ने किया. कंपनियों ने बेईमानी और धोखाधड़ी से झूठे दस्तावेज पेश किए. बैंक अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को आरोपी कंपनियों के पक्ष में अपनी धनराशि देने के लिए प्रेरित किया, जिससे बैंक को 10.19 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

सीबीआई ने 9 लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की. जांच पूरी होने पर केंद्रीय एजेंसी ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ 19 दिसंबर 2000 को चार्जशीट दाखिल की. 26 अगस्त को अदालत ने सुनवाई पूरी करते हुए 4 आरोपियों को दोषी करार दिया और सजा सुनाई. चार आरोपियों (जी वेंकटेश्वरन, आर श्रीनिवासन, डी विश्वनाथन और टीएस रामचंद्रन) के खिलाफ मुकदमे के दौरान उनकी मृत्यु के बाद आरोप हटा दिए गए.

अदालत ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच मैनेजर रहे टीआर वेंकटरमन और दूसरे ब्रांच मैनेजर पी स्वामीनाथन को 9-9 साल की कठोर कारावास की सजा के साथ 45 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा, एक प्राइवेट व्यक्ति को 6 साल की सजा सुनाई गई है. अदालत ने 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. एक प्राइवेट कंपनी पर भी अदालत ने 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया.

इस मामले में अदालत ने सुजाता फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामले को विभाजित कर दिया है, जिस पर चेन्नई की सिटी सिविल कोर्ट में मुकदमा लंबित है.

डीसीएच/