ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के मिशन पर काम कर रही सरकार : नीति आयोग

New Delhi, 27 अगस्त . नीति आयोग के ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण सलाहकार राजनाथ राम के अनुसार, केंद्र सरकार ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर अंकुश लगाने और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) मिशन के रोडमैप और परिव्यय को अंतिम रूप दे रही है.

नीति आयोग के एक अधिकारी ने एक कार्यक्रम में कहा, “हम मिशन रोडमैप को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं. कुल परिव्यय को अंतिम रूप देने के लिए भी चर्चा चल रही है.”

उन्होंने 2030 तक गैस की खपत को 180-200 अरब घन मीटर तक बढ़ाने के लिए एलएनजी के लिए लॉन्ग-टर्म सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट्स का भी आह्वान किया, जिसका लक्ष्य ऊर्जा मिश्रण में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करना है. इसके लिए एलएनजी की खपत में दो से तीन गुना वृद्धि की आवश्यकता है.

कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) एक ऐसी प्रक्रिया है, जो औद्योगिक स्रोतों और पावर प्लांट से कार्बन डाइऑक्साइड (सीओटू) को वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले ही कैप्चर कर लेती है. कैप्चर की गई सीओटू का उपयोग रसायनों, निर्माण सामग्री या ईंधन जैसे उत्पादों में किया जाता है या इसे भूमिगत भूवैज्ञानिक संरचनाओं जैसे कि समाप्त हो चुके तेल और गैस भंडारों में स्थायी रूप से संग्रहीत किया जाता है.

एलएनजी की खपत और लॉन्ग टर्म सप्लाई बढ़ाने के लिए, राम ने मौजूदा संसाधनों की मैपिंग करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भौगोलिक बेसिनों का राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर, हमें सीबीजी (कंप्रेस्ड बायोगैस) के लिए बड़े पैमाने पर टाय-अप करना होगा.

गेल के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बीसी त्रिपाठी ने कहा कि भारत का गैस पाइपलाइन नेटवर्क लगभग 50-55 प्रतिशत क्षमता पर संचालित होता है.

उन्होंने कहा, “परिवहन क्षेत्र गैस की मांग का एक प्रमुख क्षेत्र हो सकता है, जो डीजल के उपयोग और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा.”

ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजर्षि गुप्ता ने कहा कि गैस स्रोत के विभिन्न और नवीन मॉडलों पर चर्चा जारी है.

ओएनजीसी की योजना हेनरी हब और कच्चे तेल पर आधारित एलएनजी के संयोजन से विभिन्न स्रोतों से लगभग 50 लाख टन एलएनजी प्राप्त करने की है.

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