Patna, 26 अगस्त . बिहार के अररिया जिले में स्थित रानीगंज विधानसभा सीट पिछले 20 सालों से भाजपा और जदयू का गढ़ रही है. यह सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है और इसमें सात ग्राम पंचायतें आती हैं, जहां एससी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
1957 में अस्तित्व में आई रानीगंज विधानसभा सीट बिहार के अररिया जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है. इस सीट पर अब तक 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा ने अपना दबदबा कायम किया है.
इस विधानसभा सीट में सात ग्राम पंचायतें (बीरनगर पूर्वी, बीरनगर पश्चिमी, धनैश्वरी, हरिपुर कला, खूथा बैजनाथपुर, नया भरगामा और विशहरिया) आती हैं. रानीगंज, अररिया जिला मुख्यालय से 27 किमी पश्चिम में स्थित है. यह बनमनखी बाजार (25 किमी), फारबिसगंज (26 किमी), मुरलीगंज (35 किमी) और पूर्णिया (46 किमी) से सड़क मार्ग से जुड़ा है.
रानीगंज सीट के शुरुआती इतिहास पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है. कांग्रेस ने 1957 से 1985 तक हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पांच बार जीत का परचम लहराया है. हालांकि, कांग्रेस की जड़ें कमजोर होने का असर यह हुआ कि यहां अन्य राजनीतिक दलों ने भी अपनी पकड़ बनाई. भाजपा ने यहां तीन बार (2005 के दोनों चुनाव सहित), जनता दल और जदयू ने दो-दो बार, निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो बार, जबकि जनता पार्टी और राजद ने एक-एक बार जीत हासिल की.
2005 से यह सीट भाजपा और जदयू के पास रही है. 2005 में दो बार विधानसभा चुनाव हुए और पहली बार यहां से परमानंद ऋषिदेव ने जीत हासिल की, जबकि उसी साल दूसरी बार हुए चुनाव में रामजीदास ऋषिदेव ने बाजी मारी. 2010 में भाजपा के परमानंद ऋषिदेव यहां से विधायक चुने गए. 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए गठबंधन टूट गया और जदयू ने यहां से अपना उम्मीदवार उतारा. जदयू के अचमित ऋषिदेव ने भाजपा उम्मीदवार को 14,930 मतों से हराया.
इसके बाद जब 2020 में विधानसभा चुनाव हुए तो जदयू और भाजपा एक साथ आए और उन्होंने मिलकर चुनाव लड़ा. 2015 की तरह 2020 में भी यह सीट जदयू के पास रही और उसके उम्मीदवार अचमित ऋषिदेव ने राजद के अविनाश मंगला को 2,304 मतों के मामूली अंतर से हराया.
चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 में रानीगंज में 3,36,020 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 20.03 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 3.90 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 31.40 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता शामिल थे. 2020 में मतदान प्रतिशत 55.35 प्रतिशत रहा, जो 2015 के 56.98 प्रतिशत से थोड़ा कम था.
हालांकि, 2024 के Lok Sabha चुनाव में मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ और यहां मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,47,959 हो गई.
चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची के 5,714 मतदाता पलायन कर गए, जो रोजगार और औद्योगिकीकरण की कमी को दर्शाता है.
रानीगंज उत्तर बिहार के तराई क्षेत्र में स्थित एक समतल और निचला इलाका है, जो कोसी और महानंदा नदियों के करीब होने के कारण मानसून में जलजमाव और बाढ़ की चपेट में रहता है. ये नदियां कृषि के लिए वरदान हैं, लेकिन बाढ़ की समस्या भी पैदा करती हैं. क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है, जहां धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं.
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एफएम/एबीएम