शिलॉन्ग, 26 अगस्त . मेघालय सरकार ने राज्य के तीन स्वायत्त जिला परिषदों को वित्तीय मदद देने का फैसला किया है, लेकिन इस सहायता के लिए सख्त वित्तीय सुधारों को अपनाना जरूरी होगा. Chief Minister कॉनराड संगमा ने बताया कि यह मदद पूरी तरह से वैकल्पिक होगी. यानी हर परिषद खुद तय करेगी कि वे इसे स्वीकार करना चाहती है या नहीं.
Chief Minister ने बताया कि परिषदों की वित्तीय स्थिति लगातार खराब हो रही है, जिससे उनके रोजमर्रा के कामकाज पर असर पड़ा है.
उन्होंने साफ कहा कि सरकार संविधान में परिषदों की भूमिका को मानती है, लेकिन अब बिना सख्त शर्तों के कोई सहायता नहीं दी जाएगी. इन शर्तों में कर्मचारी सेवा नियमों में सुधार और एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति शामिल है, जो वित्तीय निगरानी करेगा.
संगमा ने यह भी स्पष्ट किया कि ये सुधार सिर्फ वित्तीय प्रबंधन तक सीमित रहेंगे. भूमि, रीति-रिवाज और पारंपरिक अधिकारों पर इसका कोई असर नहीं होगा.
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद को पिछले साल 70 करोड़ रुपए की वेतन आवश्यकता थी, जबकि उनकी कुल राजस्व वसूली 25 करोड़ से भी कम रही. यानी हर साल लगभग 40-50 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है. जयंतिया हिल्स परिषद की स्थिति भी कुछ इसी तरह की है.
सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तीन उप-समितियां गठित करेगी, जो अगले 45 दिनों के भीतर परिषदों से विचार-विमर्श करेंगी. इसके बाद ही अंतिम रूप से सहायता ढांचे को लागू किया जाएगा.
एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करते हुए, सीएम संगमा ने कहा कि राज्य के सीमा क्षेत्रों में उग्रवादी गतिविधियों के दोबारा सक्रिय होने की खबरों को नकारा नहीं जा सकता, खासकर जब बांग्लादेश की स्थिति तेजी से बदल रही है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जांच पूरी होने से पहले किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए.
सीएम संगमा ने कहा, “हमें इंटेलिजेंस इनपुट मिलते रहते हैं. कुछ गतिविधियों की जानकारी मिली है, लेकिन ये कहना कि 100 प्रतिशत उग्रवादी संगठन दोबारा बन गए हैं, सही नहीं होगा.”
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की घटनाएं सुरक्षा संतुलन को प्रभावित कर रही हैं, इसलिए सरकार लगातार निगरानी कर रही है.
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