रांची, 26 अगस्त . भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री नीरा यादव ने Tuesday को मतदाता पुनरीक्षण का विरोध करने वाले लोगों पर निशाना साधा. उन्होंने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि आखिर यह लोग मतदाता पुनरीक्षण का विरोध क्यों कर रहे हैं. जिस तरह से ये लोग इसका विरोध कर रहे हैं, इससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि यह लोग बांग्लादेशी लोगों को यहां पर बसाना चाहते हैं और यहां के मूल निवासियों के हितों पर कुठाराघात करना चाहते हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने इस बात पर आशंका जाहिर की कि अगर बाहर से आए लोग यहां पर फर्जी तरीके से अपनी पहचान स्थापित कर लेंगे, तो निश्चित तौर पर यहां रहने वाले लोगों के हितों पर कुठाराघात होगा. उनकी पहचान छीन ली जाएगी, जो बिल्कुल भी बर्दाश्त के लायक नहीं है. ऐसी स्थिति में हम सभी का यह कर्तव्य बनता है कि हम लोग यहां के मूल लोगों की पहचान पर किसी भी प्रकार का प्रहार नहीं पड़ने दें. यहां की संस्कृति के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो.
उन्होंने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि आज की तारीख में प्रदेश में लोगों का जीना दूभर हो चुका है. दिनदहाड़े बहनों की चेन छीन ली जाती है, जबकि पहले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था. पहले हम रात 12 से दो बजे तक बिना किसी डर के घूमा करते थे. हम लोग रात के समय में भी दुर्गा पूजा और होली जैसे मौकों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे और हमारे जेहन में किसी भी प्रकार का डर नहीं होता था. लेकिन, आज स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है. लोगों में कानून व्यवस्था को लेकर इतना डर है कि बिना डर एक कदम आगे भी नहीं बढ़ा पाते हैं. ऐसी स्थिति में मेरा सवाल यह है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?
भाजपा नेता ने कहा कि आज की तारीख में प्रदेश के लोग डर के माहौल में जीने को मजबूर हैं. वो हमेशा ही इस डर के साए में रहते हैं कि न जाने उनके साथ कब क्या हो जाए. न जाने कब उनके साथ स्नेचिंग हो जाए. कब किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति पैदा हो जाए. ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है कि आखिर यह सरकार क्या चाहती है.
उन्होंने एसआईआर पर फिर से अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें यह बात समझ नहीं आ रही है कि आखिर प्रदेश सरकार क्या चाहती है? एसआईआर के तहत बिल्कुल स्पष्ट है कि उन्हीं मतदाताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, जिन्होंने फर्जी तरीके से दस्तावेज हासिल किए हैं और जिन लोगों ने विधिक तरीके से दस्तावेज हासिल किए हैं, जो लोग यहां के मूल निवासी हैं, उन्हें बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है.
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एसएचके/एबीएम