ढाका, 26 अगस्त . बांग्लादेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि देखी जा रही है. पूर्व Prime Minister शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने Tuesday को कहा कि संकट से निपटने के लिए अंतरिम सरकार से तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है.
अवामी लीग ने मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा, जनवरी और जुलाई 2025 के बीच बलात्कार की घटनाओं में 2024 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 68.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2025 में इसी अवधि के दौरान बच्चों के खिलाफ हिंसा में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
मानवाधिकार संस्था एमएसएफ के आंकड़ों का हवाला देते हुए अवामी लीग ने कहा कि जनवरी और जुलाई 2025 के बीच, 502 महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार हुआ, जिनमें 133 सामूहिक बलात्कार की पीड़िताएं शामिल हैं. बलात्कार के बाद 27 पीड़ितों की हत्या कर दी गई. वहीं, 209 बलात्कार के प्रयास की रिपोर्ट दर्ज की गई.
ढाका स्थित मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र (एएसके) के आंकड़ों का हवाला देते हुए अवामी लीग ने कहा कि इस वर्ष के पहले सात महीनों में 492 महिलाएं और बच्चियां बलात्कार की शिकार हुईं. पिछले वर्ष इस अवधि में यह संख्या 292 थी.
पार्टी के अनुसार, बच्चों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं 2024 में 463 से बढ़कर 640 हो गईं, जबकि 2025 में घरेलू हिंसा में भी लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
अवामी लीग ने एक्स पर लिखा, “बांग्लादेश महिला परिषद की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 405 लोगों के साथ बलात्कार हुआ, 117 सामूहिक बलात्कार हुए, 15 पीड़िताओं को बलात्कार के बाद मार दिया गया. पिछले साल ये संख्या क्रमशः 253, 105 और 18 थी.”
पार्टी ने कहा कि देश में अपराध बढ़ने की वजह अपराधियों को सजा न मिलना, न्याय व्यवस्था में देरी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों की लापरवाही और कमजोर स्थानीय प्रशासन हैं. यह प्रवृत्ति केवल आंकड़ों का मामला नहीं है, बल्कि सामाजिक सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए एक गंभीर खतरा है.
अवामी लीग ने ढाका विश्वविद्यालय में महिला एवं लैंगिक अध्ययन विभाग के प्रोफेसर सैयद शेख इम्तियाज के हवाले से कहा, “पुलिस व्यवस्था कमजोर हो गई है. जुलाई के आंदोलन के बाद, महिलाओं की आजादी से जुड़ी नकारात्मक बातों ने बलात्कारियों को बढ़ावा दिया है.”
पार्टी के मुताबिक, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रभावी कानून प्रवर्तन, त्वरित सुनवाई और व्यापक सामाजिक जागरूकता के बिना, बांग्लादेश में हिंसा की बढ़ती घटनाओं को रोका नहीं जा सकता.
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पीएके/एबीएम