नैनीताल, 26 अगस्त . उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में बसा नैनीताल अब न केवल पर्यटकों, बल्कि किंग कोबरा की भी पसंदीदा जगह बनता जा रहा है.
वन विभाग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यह खतरनाक सांप, जो पहले केवल घने जंगलों और तराई क्षेत्रों में पाया जाता था, अब नैनीताल की रिहायशी बस्तियों तक पहुंच गया है. साल 2015 से 2020 के बीच उत्तराखंड में किंग कोबरा की 132 साइटिंग्स में से 83 बार यह सांप नैनीताल जिले में देखा गया. यह आंकड़ा बताता है कि नैनीताल में किंग कोबरा की संख्या पारंपरिक वर्षावनों से बाहर सबसे अधिक है.
नैनीताल में बढ़ता तापमान किंग कोबरा के लिए अनुकूल माहौल बना रहा है. पहली बार साल 2006 में नैनीताल की भवाली फॉरेस्ट रेंज में किंग कोबरा देखा गया था. इसके बाद 2012 में मुक्तेश्वर में 2303 मीटर की ऊंचाई पर इसका घोंसला मिला, जो विश्व रिकॉर्ड है. नैनीताल में अब तक 18 फीट लंबा किंग कोबरा रेस्क्यू किया जा चुका है.
नैनीताल चिड़ियाघर के रेंजर आनंद लाल समाचार एजेंसी से बातचीत में बताते हैं कि किंग कोबरा ठंडे खून वाला सांप है, जिसे गर्मी की जरूरत होती है. नैनीताल के बांज और पिरूल के पत्तों से निकलने वाली गर्मी इसके लिए आदर्श है. इन पत्तों में किंग कोबरा अपना घोंसला बनाता है.
उन्होंने बताया कि किंग कोबरा दुनिया का सबसे बड़ा विषैला सांप है, जिसकी लंबाई 18 फीट तक हो सकती है. यह एकमात्र सांप है जो अंडे देने के लिए घोंसला बनाता है. मादा किंग कोबरा अंडों की रक्षा के लिए करीब 80-100 दिन तक भूखी रहती है. भारत में यह वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत संरक्षित है.
इसके अलावा, वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि किंग कोबरा दिखने पर घबराएं नहीं और तुरंत वन विभाग को सूचित करें. बढ़ता तापमान और अनुकूल माहौल नैनीताल को किंग कोबरा का नया ठिकाना बना रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को सतर्क रहने की जरूरत है.
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एसएचके/एएस