श्रीनगर, 22 अगस्त . ओडिशा की रस्मिता साहू ने श्रीनगर में चल रहे खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल 2025 में महिलाओं की 200 मीटर कैनो सिंगल्स में स्वर्ण पदक जीता है. श्रीनगर की प्रतिष्ठित डल झील में केरल और मध्य प्रदेश के एथलीटों से आगे रहते हुए 53.53 सेकंड का समय निकालते हुए उन्होंने शीर्ष स्थान हासिल किया.
रस्मिता साहू की यह सफलता न सिर्फ उनके लिए बल्कि भारत के लिए भी बेहद अहम है. आगे चलकर वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में वह देश में लोकप्रिय चेहरा बन सकती हैं.
रस्मिता साहू को श्रीनगर में मिली सफलता उनके वर्षों के लंबे और अथक संघर्ष का परिणाम है.
23 साल की साहू ओडिशा के कटक के चौद्वार के एक मछुआरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली हैं. जब वह 9 साल की थीं, उनके पिता एक मोटर दुर्घटना (2011) में गंभीर रूप से घायल हो गए. इससे पांच सदस्यों वाले परिवार में आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई. 2015 में उनकी मां का एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया.
बता दें कि मछुआरे परिवार में पैदा होने और तैराकी आने के बाद भी रस्मिता ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. एक दोस्त की सलाह पर वह जल क्रीड़ा के क्षेत्र में आगे बढ़ने को प्रेरित हुई. दोस्त ने सलाह दी थी कि ओडिशा के जगतपुर स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में दाखिला लेने और कैनोइंग, कयाकिंग और नौकायन का प्रशिक्षण लेने से उन्हें वजीफा मिल जाएगा. इस सलाह ने रस्मिता की जिंदगी बदल दी और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
वह कहती हैं कि हमारे पास आर्थिक तंगी थी. इसलिए इस फैसले को लेने के लिए मैंने ज्यादा नहीं सोचा. मैंने कैनोइंग में एक ट्रायल दिया और मेरा चयन हो गया.
एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के बाद रस्मिता ओडिशा पुलिस में 2024 से कार्यरत हैं और चार सदस्यों वाले परिवार की देखभाल करती हैं.
उत्तराखंड में आयोजित पिछले राष्ट्रीय खेलों में, उन्होंने कैनोइंग महिला युगल में रजत और कैनोइंग एकल महिला स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीता था. इससे पहले उन्होंने Bhopal में कैनोइंग महिला एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था.
अपने संघर्षों को याद करते हुए रस्मिता कहती हैं, “हम एक झोपड़ी में रहते थे और मेरे पिता मछुआरे के रूप में ज्यादा कमाई नहीं कर पाते थे, लेकिन वाटर स्पोर्ट्स ने मेरे करियर को बदल दिया. अब हम आराम से रहते हैं और मैं अपने परिवार के लिए एक घर बनवा रही हूं.”
रस्मिता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच लैशराम जोहानसन सिंह को दिया है.
उन्होंने कहा, “जब मैंने राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों में भाग लेना शुरू किया, तो मेरे पास यात्रा और डाइट के पैसे नहीं थे. मेरे कोच मुझे पैसे देते थे ताकि मैं यात्रा कर सकूं, अच्छा खाना खा सकूं और बेहतर प्रदर्शन कर सकूं.”
से बात करते हुए उन्होंने कहा, “वह अब 2026 एशियाई खेलों की तैयारी कर रही हैं, जो 19 सितंबर, 2026 से 4 अक्टूबर, 2026 तक जापान में आयोजित होंगे.”
रस्मिता ने कहा, “मैं एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं और इस सपने को पूरा करने की पूरी कोशिश करूंगी. हाल ही में, हमने मगरमच्छों से भरे एक जलाशय में अभ्यास किया. मैंने भी उसी जलाशय में अभ्यास किया, जहां हीराकुंड बांध के निकास के कारण पानी का प्रवाह तेज था.”
खेलो इंडिया स्पोर्ट्स के लिए कश्मीर आकर रस्मिता खुश हैं. उन्होंने कहा कि मैंने कश्मीरी मौसम और व्यंजनों का आनंद लिया.
रस्मिता के कोच ने कहा, “मैं 2020 से उसे जूनियर से लेकर सीनियर स्तर तक लगातार प्रशिक्षित कर रहा हूं. उसने 2018 के स्पेशल एरिया गेम्स में अपनी पहली छाप छोड़ी थी. तब से, उसने एक लंबा सफर तय किया है और मुझे उम्मीद है कि वह 2026 एशियाई खेलों में पदक जीतेगी.”
–
पीएके/डीएससी